एक वक्त था, जब महिला गर्भधारण नहीं कर पाती थी, तो उसे बांझ कह कर परिवार और समाज में प्रताड़ित किया जाता था. विज्ञान ने प्रगति की, कई बीमारियों के साथ बांझपन का भी इलाज संभव हुआ. आइवीएफ तकनीक तो महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं. ‘स्पर्म बैंक’ ने कैरियर के प्रति महत्वाकांक्षी युगल को अपने हिसाब से माता-पिता बनने का समय तय करने तक का अवसर दिया है.
हिंदुओं का धर्म परिवर्तन रोकेंगे : आरएसएस
लेकिन, क्या आपको यकीन होगा कि भारत में सदियों पहले कुछ नियम, आहार और विचारों का पालन करके मनचाही संतान की उत्पत्ति होती होगी? अभिमन्यू को छोड़ कर इसका कोई दूसरा दृष्टांत नहीं दिखता कि मां के गर्भ में कोई बालक या बालिका ने कुछ सीख लिया हो.
फिर भी यदि आपकी नयी-नयी शादी हुई है, आप परिवार बढ़ाने की योजना बना रहे हैं,तो आप अपनी इच्छा के अनुरूप शिशु को जन्म दे पायेंगे. आप चाहें, तो स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी जैसे महापुरुष, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, सर आइजकन्यूटनऔर आइंस्टीन जैसा वैज्ञानिक या बिल गेट्स और वारेन बफे जैसा दुनिया का सबसे धनवान बेटा आपके घर जन्म ले सकता है.
राष्ट्रीय स्वयं सेवक से समर्थित स्कूलों पर ममता बनर्जी सरकार कर सकती है कार्रवाई
सती सावित्री, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई या महिला शिक्षा की पैरोकार ज्योतिबा फूले, मैडम क्यूरी, कल्पना चावला, सुनीता विलियम्सया चंदा कोचर जैसी बैंकर अथवा इंदिरा नुयी जैसी सीइओ बेटी भी आपके घर जन्म ले सकती है. यह आपके हाथ में है कि आप कैसा बेटा या बेटी चाहते हैं.
आपकी यह इच्छा पूरी करने का दावा कर रहा है गर्भ विज्ञान अनुसंधान केंद्र. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्वास्थ्य इकाई आरोग्य भारती के अंतर्गत काम करनेवाले अनुसंधान केंद्र का दावा है कि कुछ विशेष उपाय करने भर से यह सब संभव होगा.
बोले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत : रतन टाटा भी देखना चाहते हैं संघ की शाखा
इसके लिए विशेष उपायों में ग्रहों की चाल के आधार पर युगल को यौन संबंध स्थापित करना होता है. माता-पिता बनने के इच्छुक युगल को तीन महीने तक शुद्धिकरण का पालन करना पड़ता है. गर्भवती हो जाने पर महिला को पूरी तरह से परहेज करना पड़ता है. गर्भावस्था में भोजन का विशेष ख्याल रखना होता है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्वास्थ्य इकाई आरोग्य भारती के गर्भ विज्ञान संस्कार के मुताबिक, एक महिला को उत्तम संतति यानी एक परफेक्ट संतान पाने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना होता है.
आरएसएस ने मनाया विजयादशमी उत्सव
इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे कुछ पदाधिकारियों के मुताबिक, जर्मनी से प्रेरणा लेकर इस प्रोजेक्ट पर करीब एक दशक पहले गुजरात में काम शुरू किया गया था. इसे वर्ष 2015 में राष्ट्रीय स्तर तक ले जाया गया. पदाधिकारियों का दावा है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी ने आयुर्वेद के जरिये ऐसे कई बच्चे पैदा किये हैं.
अनुसंधान केंद्र की मदद से भारत में अब तक 450 संतानें जन्म ले चुकी हैं. वर्तमान में यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शिक्षा इकाई विद्या भारती के अंतर्गत आता है. गुजरात और मध्यप्रदेश में इसकी 10 शाखाएं हैं. जल्द ही उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी इसकी इकाई शुरू की जायेगी.
यदि आपका है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से नाता तो नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी?
इस प्रोजेक्ट के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर कृष्ण मोहनदास नरवानी के मुताबिक, उत्तम संतति के जरिये हमारा मुख्य ध्येय समर्थ भारत का निर्माण करना है. हम चाहते हैं कि वर्ष 2020 तक हजारों की संख्या में ऐसे बच्चे हों.
आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर हितेश जानी के मुताबिक, कम शिक्षा या किसी अन्य कारण से अगर किसी माता-पिता का आइक्यू कम भी है, तब भी उनकी संतान तेज-तर्रार हो सकती है. अगर सही प्रक्रिया का पालन किया जाये, तो कम लंबाई और सांवले अभिभावक भी लंबी और सुंदर संतान पा सकते हैं.
जानी काफी समय तक संघ के स्वयंसेवक रहे और जामनगर की गुजरात आयुर्वेद यूनिवर्सिटी में पंचकर्म के हेड भी रहे थे. उन्होंने कहा कि उत्तम संतति पाने की प्रक्रिया हिंदू शास्त्रों में भी बतायी गयी है. दावा किया जा रहा है कि वर्ष 2020 तक हर राज्य में एक गर्भ विज्ञान अनुसंधान केंद्र खोला जायेगा.
यूपी और बंगाल में जल्द खुलेगी इकाई
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में शीघ्र गर्भ विज्ञान अनुसंधान केंद्र खोलने की योजना है. हालांकि, पश्चिम बंगाल में बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गर्भ विज्ञान अनुसंधान केंद्र की कार्यशाला पर रोक लगाने की मांग की गयी, जिसे कलकत्ता हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया. हालांकि कोर्ट ने कहा कि सेमिनार के दोनों दिनों के कार्यक्रम का वीडियो बना कर उसे कोर्ट में पेश करें.