यदि आप हरिद्वार जाकर गंगा में आस्था की डुबकी लगाना चाहते हैं तो पहले इसे पढ़ें

देहरादूनः हरिद्वार जाकर लोग गंगा में डुबकी लगाते हैं और वे समझते हैं कि उनके सारे पाप ‘धुल’ गये, लेकिन यह सच सबको चौंका सकती है कि गंगा का पानी इतना गंदा है कि पीना तो दूर, इससे नहाया भी नहीं जा सकता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी) ने एक आरटीआई के जवाब में जानकारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 18, 2017 12:15 PM

देहरादूनः हरिद्वार जाकर लोग गंगा में डुबकी लगाते हैं और वे समझते हैं कि उनके सारे पाप ‘धुल’ गये, लेकिन यह सच सबको चौंका सकती है कि गंगा का पानी इतना गंदा है कि पीना तो दूर, इससे नहाया भी नहीं जा सकता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी) ने एक आरटीआई के जवाब में जानकारी दी कि हरिद्वार में गंगा नदी का पानी तकरीबन हर पैमाने पर असुरक्षित है.

योगी से मिले इस्राइल के राजदूत : नमामि गंगे परियोजना में यूपी को सहयोग की इच्छा जतायी

जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड में गंगोत्री से लेकर हरिद्वार जिले तक 11 जगहों से पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए सैंपल लिए गये थे. ये 11 जगह 294 किलोमीटर के इलाके से ली गयी. बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिक आरएम भारद्वाज ने बताया, इतने लंबे दायरे में गंगा के पानी की गुणवत्ता जांच के 4 प्रमुख सूचक रहे, जिनमें तापमान, पानी में घुली ऑक्सिजन(डीओ), बायलॉजिकल ऑक्सिजन डिमांड(बीओडी) और कॉलिफॉर्म(बैक्टीरिया) शामिल हैं.
हरिद्वार के पास के इलाकों के गंगा के पानी में बीओडी, कॉलिफॉर्म और अन्य जहरीले तत्व अत्याधिक पाये गए. सीपीसीबी की माने तो , नहाने के एक लीटर पानी में बीओडी का स्तर 3 मिलीग्राम से कम होना चाहिए, जबकि यहां के पानी में यह स्तर 6.4 एमजी से ज्यादा पाया गया. यही नहीं, हर की पौड़ी के प्रमुख घाटों समेत कई जगहों के पानी में कॉलिफॉर्म भी काफी ज्यादा पाया गया. प्रति 100 एमएल पानी में कॉलिफॉर्म की मात्रा जहां 90 एमपीएन (मोस्ट प्रॉबेबल नंबर) होना चाहिए, जबकि वह 1,600 एमपीएन तक पायी गयी.

साल भर बाद भी गंगा किनारे के छोटे-बड़े नालों का नहीं हुआ सर्वे

सीपीसीबी की रिपोर्ट की माने तो नहाने के पानी में इसकी मात्रा प्रति 100 एमएल में 500 एमपीएन या इससे कम होनी चाहिए. इतना ही नहीं, हरिद्वार के पानी में डीओ का स्तर भी 4 से 10.6 एमजी तक मिला, जबकि स्वीकार्य स्तर 5 एमजी है. खबरों की मानें तो हरिद्वार के 20 घाटों में रोजाना 50,000 से 1 लाख श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं.

गायघाट में हादसा : गंगा में डूबने से चार किशोरों की मौत
रिपोर्ट पर गौर करें तो हमारे जेहन में यह प्रश्‍न उठता है कि क्या ऐसे में क्या इतने श्रद्धालुओं का गंगा में स्नान करना सही है ?

Next Article

Exit mobile version