नदी संरक्षण के लिए जुनून रखने वाले व्यक्ति थे दवे, निधन पर पूरे देश में शोक, झुका रहेगा आधा तिरंगा

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By Prabhat Khabar Digital Desk | May 18, 2017 1:15 PM

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नयी दिल्ली : केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अनिल माधव दवे का दिल का दौरा पड़ने से गुरुवार को निधन हो गया. वे 61 साल के थे. सुबह अचानक तबीयत बिगड़ने पर दवे को दिल्ली के एम्स में एडमिट कराया गया. जहां दवे ने आखिरी सांस ली. नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इसे निजी क्षति बताया है. दवे के निधन के कारण गुरुवार को दिल्ली और सभी राज्यों की राजधानियों में सभी सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा. इस बाबत गृह मंत्रालय ने निर्देश दिए हैं.

नहीं रहे पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे, पीएम मोदी ने ट्वीट कर जताया शोक, बताया निजी क्षति

यहां उल्लेख कर दें कि पिछले साल पर्यावरण मंत्री बने अनिल माधव दवे नदी संरक्षण के विशेषज्ञ और ग्लोबल वार्मिंग पर बने संसदीय मंच के सदस्य थे. पर्यावरण एक ऐसा विषय था, जो उनके दिल के बेहद करीब था. अपने जीवन के शुरुआती दिनों से ही दवे सामाजिक कार्यों से जुडे थे. नदी संरक्षण के लिए उन्होंने ‘नर्मदा समग्र’ नामक गैर सरकारी संगठन की स्थापना की थी. मध्यप्रदेश से दो बार राज्यसभा सांसद रहे दवे को भाजपा में त्रुटिहीन सांगठनिक कौशल वाले व्यक्ति के तौर पर जाना जाता था. वह लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुडे रहे. वह वर्ष 2003 में तब सुर्खियों में आए जब उनकी रणनीति उस समय के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की हार का सबब बनी.

इसके बाद मुख्यमंत्री बनी उमा भारती ने दवे को अपना सलाहकार बनाया. एनसीसी एयर विंग कैडेट के तौर पर उन्होंने उडान संबंधी शुरुआती प्रशिक्षण लिया और इसमें जीवनभर का जुनून तलाश लिया. वह निजी पायलट लाइसेंस धारक थे और एक बार उन्होंने नर्मदा के तट के आसपास 18 घंटे तक सेसना विमान उडाया था. राज्यसभा सांसद के तौर पर वह ‘ग्लोबल वार्मिंग एंड क्लाइमेट चेंज’ के मुद्दे पर बने संसदीय मंच के सदस्य रहे.

अनिल माधव दवे : विनम्र स्वभाव और सुलझे हुए व्यक्तित्व के मालिक

इंदौर के गुजराती कॉलेज से कॉमर्स में परास्नातक करने वाले दवे की साहित्य में गहरी रुचि थी और उन्होंने कई किताबें भी लिखीं. दवे का जन्म मध्यप्रदेश के उज्जैन जिला स्थित बारनगर में छह जुलाई 1956 को हुआ था. उनकी माता का नाम पुष्पा और पिता का नाम माधव दवे था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विरासत उन्हें अपने दादा दादासाहेब दवे से मिली थी. उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने आरएसएस का प्रचारक बनने का फैसला किया. वह वर्षों तक संघ के समूहों के बीच बडे हुए. वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें भाजपा में शामिल किया गया.

दवे पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार थे और वर्ष 2003, 2008 और 2013 में विधानसभा चुनाव के दौरान और वर्ष 2004, 2009 और 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान चुनाव प्रबंधन समिति के प्रमुख रहे. उन्हें बूथ स्तरीय प्रबंधन एवं नियोजन के लिए जाना जाता था. दवे को वर्ष 2009 में राज्यसभा का सदस्य चुना गया. वह विभिन्न समितियों में शामिल रहे और भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधन) विधेयक 2013 पर बनी प्रवर समिति के अध्यक्ष भी रहे. दवे ने भोपाल में वैश्विक हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया था. उन्होंने सिंहस्थ (कुंभ) मेला के अवसर पर उज्जैन में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था.

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