नयी दिल्ली : दिल्ली सरकार में मंत्री पद से हटाये गये आप विधायक कपिल मिश्रा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर एक के बाद एक कई आरोप लगा रहे हैं. शुक्रवार को भी उन्होंने केजरीवाल के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाये हैं. इससे पहले तो उन्होंने प्रेस कांन्फ्रेंस में हवाला कारोबारियों से चंदे लेने का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि केजरीवाल का कॉलर उनके हाथ में है और वो उन्हें कुर्सी से घसीटते हुए तिहाड़ जेल ले जाएंगे.
कल कपिल मिश्रा ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल ने हवाला कारोबारियों से अपने संबंधों के कारण नोटबंदी का विरोध किया था. मिश्रा ने केजरीवाल के खिलाफ हमला बोलते हुये कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) को दिल्ली के वकील रोहित टंडन की कंपनी के मार्फत पैसा दिया गया.
उन्होंने कहा कि टंडन वही वकील है जिसकी संपत्तियों को नोटबंदी के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने कथित धनशोधन के मामले में जब्त किया था. मिश्रा ने कहा कि इसी वजह से केजरीवाल ने देश भर में घूम घूम कर नोटबंदी का जमकर मुखर विरोध किया था. उन्होंने कहा, ‘‘केजरीवाल के करीबी ने काला धन इकट्ठा किया जिसके कारण प्रवर्तन निदेशालय सहित अन्य एजेंसियों ने उनके ठिकानों पर छापेमारी की. अब केजरीवाल का कॉलर मेरे हाथों में है और उनका तिहाड जेल जाना तय है.’
बहरहाल कपिल मिश्रा जो हंगामा कर रहे हैं कहीं न कहीं इससे केजरीवाल को ही लाभ हो रहा है. इन तर्कों के आधार पर ऐसा ही लगता है कि कपिल मिश्रा के हंगामे से केजरीवाल और उनकी पार्टी को ही फायदा हो रहा है.
1. चुनावी हार से आप और केजरीवाल की हो रही बदनामी से छूटकारा
हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और फिर दिल्ली नगर निगम चुनाव में आम की करारी हार से केजरीवाल और उनकी पार्टी की जमकर आलोचना और मजाक बनाया जा रहा था. लेकिन कपिल मिश्रा के हंगामे के बाद मीडिया का ध्यान आप की हार से हट गया और सारा फोकस कपिल मिश्रा के आरोप पर हो गया.
केजरीवाल और आप की हार पर पर्दा पड़ चुका है. हार की बदनामी पीछे छूट चुकी है. मीडिया में इस समय चर्चा हो रही है तो केवल कपिल मिश्रा के आरोप की. हालांकि सोशल मीडिया पर कपिल मिश्रा की भी जमकर आलोचना हो रही है. आप के समर्थक कपिल मिश्रा पर मौका परस्ती का अरोप लगा रहे हैं.
2. कपिल के हंगामे के बाद आप में टूट टली
पंजाब में हार और फिर उसके बाद दिल्ली नगर निगम चुनाव में करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी में बवंडर शुरू हो चुका था. पार्टी नेता एक दूसरे को हार के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे थे. इसके बाद पार्टी में टूट भी शुरू हो चुकी थी. कुमार विश्वास भी कुछ दिनों पहले पार्टी से अलग-अलग होते रह गये. लेकिन अचानक कपिल मिश्रा के हंगामे के बाद सभी की ध्यान घर बचाने पर आ गया और फिलहाल आप के अंदार का भूचाल शांत है. विश्वास भी पार्टी का विश्वास जीतने में कामयाब रहे हैं.
3. केजरीवाल सरकार ने मेट्रो किराये में वृद्धि की लेकिन हंगामा नहीं हुआ
केजरीवाल सरकार ने मेट्रो किराये में वृद्धि की लेकिन कपिल मिश्रा के हंगामे के कारण इसपर किसी का ध्यान नहीं गया. अगर मिश्रा का मामला सामने नहीं आता तो मीडिया का फोकस मेट्रो किराये पर ही होता और केजरीवाल सरकार को इसका जवाब भी देना पड़ता.
4. केजरीवाल के साथ आये आप के पुराने साथी
अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कपिल मिश्रा के द्वारा लगाये गये भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप के बाद आम आदमी पार्टी के पुराने साथी भी केजरीवाल के समर्थन में उतर गये हैं. कभी केजरीवाल के साथ काम करने वाले और अब अपनी अलग पार्टी बना चुके स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने इस कपिल मिश्रा के आरोप पर अपनी टिप्पणी दी है. उन्होंने कहा कि केजरीवाल भ्रष्टाचार नहीं कर सकते हैं. वहीं कुछ दिनों पहले पार्टी से नाराज चल रहे कुमार विश्वास ने भी कहा है कि अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार करेगा यह मैं नहीं मान सकता है.