तीन दिन बाद चीन सीमा के पास मिला लापता सुखोई-30 का मलबा
नयी दिल्ली : असम के तेजपुर एयरबेस से मंगलवार सुबह सुबह 10:130 बजे उड़ान भरने के बाद 11:10 बजे गायब हुए सुखोई-30 विमान का मलबा मिल गया है. मलबा तेजपुर से करीब 60 किमी दूर चीनसीमा के पास घने जंगलों में मिला है. विमान का मलबा उसी जगह मिला है, जहां से रडार से उसका […]
नयी दिल्ली : असम के तेजपुर एयरबेस से मंगलवार सुबह सुबह 10:130 बजे उड़ान भरने के बाद 11:10 बजे गायब हुए सुखोई-30 विमान का मलबा मिल गया है. मलबा तेजपुर से करीब 60 किमी दूर चीनसीमा के पास घने जंगलों में मिला है. विमान का मलबा उसी जगह मिला है, जहां से रडार से उसका संपर्क टूटा था. जहां मलबा मिला है, वहां का मौसम इस समय बहुत खराब है. घना जंगल है. इसलिए तलाशी अभियान में परेशानी हो रही है.
वायुसेना की अग्रिम पंक्ति के टू सीटर फाइटर प्लेन ने तेजपुर से उड़ान भरी थी. यहां से चीन की सीमा करीब 200-250 किमी की दूरी पर है. सुखोई वायुसेना का अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान है. ऐसे करीब ढाई सौ लड़ाकू विमान वायुसेना में हैं.
दो पायलटों के साथ असम में लड़ाकू विमान सुखोई लापता
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि रूस से खरीदा गया सुखोई विमान वायुसेना की अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों मेंहै. एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सात साल में 8 सुखोई विमान हादसे का शिकार हो चुके हैं. करीब 358 करोड़ रुपये की लागतवाला यह विमान दुनिया के श्रेष्ठ लड़ाकू विमानों की श्रेणी में शामिल है.
सात साल में आठ दुर्घटना
- 30 अप्रैल, 2009कोराजस्थान में सुखोई दुर्घटनाग्रस्त हुआ
- 30 नवंबर, 2009 को राजस्थान में दुर्घटनाग्रस्त हुआ
- 13 दिसंबर, 2011 को पुणे में विमान गिरा
- 19 फरवरी, 2013 को राजस्थान में गिरासुखोई
- अक्तूबर, 2013 को पुणे में गिराफाइटरप्लेन
- 19 मई, 2015 को असम में तेजपुर के पास गिरासुखोई
- 15 मार्च,20175 को एक सुखोई राजस्थान में गिरा
- 23 मई, 2017 को असम में तेजपुर के जंगलों में गिरा सुखोई-30 जेट
सुखोई विमान की खूबियां
- रूसी कंपनी सुखोई एविएशन कॉरपोरेशन द्वारा निर्मित दो-इंजनवाले सुखोई-30 एयरक्राफ्ट भारत की रक्षा जरूरतों के लिहाज से काफी अहम हैं.
- यह सभी मौसमों में उड़ान भर सकता है.
- हवा से हवा में, हवा से सतह पर मार करने में सक्षम है.