16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जम्मू-कश्मीर को बचाना है तो राज्यपाल शासन लगाया जाए : फारुक अब्दुल्ला

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने आज राज्य में तत्काल राज्यपाल शासन लगाने का आह्वान करते हुए कहा कि तेजी से अराजकता की ओर बढ़ रही घाटी में बढ़ती अशांति पर काबू पाने का एकमात्र यही तरीका है. संसद के नवनिर्वाचित सदस्य अब्दुल्ला ने कहा, ‘हम कभी राज्यपाल शासन के हामी […]

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने आज राज्य में तत्काल राज्यपाल शासन लगाने का आह्वान करते हुए कहा कि तेजी से अराजकता की ओर बढ़ रही घाटी में बढ़ती अशांति पर काबू पाने का एकमात्र यही तरीका है. संसद के नवनिर्वाचित सदस्य अब्दुल्ला ने कहा, ‘हम कभी राज्यपाल शासन के हामी नहीं रहे, हमने हमेशा इसका विरोध किया. लेकिन और कोई रास्ता नहीं है.’

नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख को हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर पर चर्चा के लिए नयी दिल्ली बुलाया था. उन्होंने कहा कि महीनों से अशांति के दौर से गुजर रहे राज्य में मोदी हालात का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं. उन्होंने यहां कहा, ‘मैं आपको नहीं बता सकता कि मैंने प्रधानमंत्री के साथ क्या चर्चा की. बस इतना बता सकता हूं कि वह राज्य में हालात के बारे में चिंतित हैं और इसका अंत चाहते हैं. शांतिपूर्ण अंत.’

पूर्व मुख्यमंत्री ने महबूबा मुफ्ती सरकार पर ‘सभी मोर्चे पर विफल’ होने का आरोप लगाते हुए कहा कि केवल दक्षिण कश्मीर ही नहीं समूची घाटी ‘त्रासदी’ की गिरफ्त में है. अब्दुल्ला ने कहा, ‘ये त्रासदी बाकी देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा रही हैं. इसलिए जितना जल्द इस समस्या का समाधान करेंगे, उतनी जल्दी ही हम इन अंगारों को धधकती आग में बदलने से रोक सकेंगे.’

साथ ही कहा, ‘जारी अव्यवस्था कश्मीर घाटी को अराजकता की ओर ले जा रही है.’ उन्होंने भाजपा में हाशिए के तत्वों से कश्मीर पर कोई भड़काउ बयान नहीं देने की अपील की. उन्होंने कहा, ‘आइए एक आवाज बनें. जब प्रधानमंत्री खुद शांति चाहते हैं दूसरों को इसे सुनना चाहिए.’ उन्होंने जोर दिया कि मुख्यमंत्री को उस दिन इस्तीफा दे देना चाहिए जिस दिन केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में लिखित में दिया कि वह अलगाववादियों से बात नहीं करेगा. महबूबा मुफ्ती ने बार-बार कश्मीर में ‘सभी हितधारकों’ के साथ वार्ता के लिए कहा.

अब्दुल्ला ने कहा, ‘इससे मैं पूरी तरह चकरा गया क्योंकि पीडीपी-भाजपा एजेंडा कहता है कि वे सभी से बात करेंगे. इसलिए अगर वह एजेंडा गायब है तो मैडम मुफ्ती कुर्सी पर क्या कर रही हैं? क्या उन्हें अलविदा नहीं कहना चाहिए और कोई सम्मान बचा है तो जाना नहीं चाहिए?’ अब्दुल्ला ने जिक्र किया कि वी पी सिंह सरकार ने जब जगमोहन को 1990 में कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया जो उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

उन्होंने कहा, ‘मुझे कुर्सी प्यारी नहीं थी, मैं लोगों से प्यार करता था.’ यह पूछे जाने पर कि कश्मीर की अशांति खत्म क्यों नहीं हुई उन्होंने कहा कि नब्बे के दशक का आतंकवाद अब से अलग था. उन्होंने कहा, ‘आज आंदोलन अलग है क्योंकि पीडीपी के नेता मुफ्ती (मोहम्मद सईद) साहब जब चुनाव मैदान में उतरे तो उन्होंने भाजपा और आरएसएस को बाहर रखने का झूठा वादा किया. दुर्भाग्य से अंतत: वह उन्हीं लोगों को लाए, जिन्हें दूर रखने का वादा किया था.’

उन्होंने कहा, ‘इस संघर्ष के हिस्से ने उस विश्वासघात.. विश्वास जिसे आपने तोड़ा.. के कारण सिर उठाया है.’ उन्होंने उल्लेख किया कि अधिकतर अशांति दक्षिण में है जो मुफ्ती का गढ़ था. अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य सरकार पर आरएसएस की पकड़ ने अशांति को भड़काने का काम किया. उन्होंने कहा, ‘आज आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता, अगर वे राज्य को और देश के साथ इसके भविष्य को बचाना चाहते हैं तो राज्यपाल शासन लाया जाए जिससे सरकार का कामकाज तटस्थ हो और लोगों के दिलो दिमाग को जीतने के लिए कदम उठाए जाएं.’

उन्होंने कहा, ‘विधानसभा को निलंबित रखा जाए और चीजें ठीक होने लगें और लोग बेहतरी देखें, सरकार के प्रति आशान्वित हों तो विधानसभा बहाल की जाए.’ उन्होंने कहा कि पिछले साल जनवरी में दो महीने के राज्यपाल शासन में कश्मीरियों ने सुशासन देखा था. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह राज्यपाल शासन की छोटी अवधि में हुआ जब निर्धन से निर्धनतम को बिना किसी पक्षपात के बाढ़ राहत राशि दी गयी.’

अब्दुल्ला ने तब आक्रोश प्रकट किया जब उनसे पूछा कि सत्ता से बाहर रहने पर उनके बयान अलगाववादी समर्थक के तौर पर क्यों नजर आते हैं. उन्होंने कहा, ‘मैंने कभी सत्ता नहीं चाही. कम से कम मैं कभी सत्ता के पीछे नहीं भागा. अगर ऐसा होता तो हम गठबंधन सरकार बनाने के लिए भाजपा से जुड़ नहीं गये होते, जब उन्होंने हमसे इसके लिए कहा था?’ साथ ही कहा कि अलगाववादियों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता.

उन्होंने कहा, ‘क्या अलगाववादी राज्य का हिस्सा नहीं हैं? क्या पथराव करने वाले राज्य का हिस्सा नहीं हैं? इसलिए अगर वो हिस्सा हैं तो हम उन्हें कैसे नजरंदाज कर सकते हैं और उनके लिए इंसाफ पा सकते हैं.’ अब्दुल्ला ने दोहराया कि एक बार राज्यपाल शासन घोषित होने के बाद राज्य की समस्याएं दूर हो जाएंगी. उन्होंने कहा, ‘आज वे (पीडीपी-भाजपा) किसी को भी पकड़ रहे हैं, जो उनकी पार्टी से जुड़े नहीं है, जिन्होनें कभी अपने हाथों में पत्थर नहीं उठाया, उनके अभिभावकों को भी उठाया जा रहा है और हाजत में बंद किया जा रहा है.’ अब्दुल्ला ने कहा, ‘ये चुनकर शिकार करना है. यही कारण है कि अशांति रुक नहीं रही है.’

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें