रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत म्यामां रवाना
नयी दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत आज म्यामां की चार दिन की यात्रा पर रवाना हुए. इस दौरान वह म्यामां की प्रसिद्ध नेता आंग सान सू की से मिलेंगे और दोनों देशों के बीच रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने की खातिर वहां के शीर्ष सैन्य नेतृत्व से बातचीत करेंगे. म्यामां भारत […]
नयी दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत आज म्यामां की चार दिन की यात्रा पर रवाना हुए. इस दौरान वह म्यामां की प्रसिद्ध नेता आंग सान सू की से मिलेंगे और दोनों देशों के बीच रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने की खातिर वहां के शीर्ष सैन्य नेतृत्व से बातचीत करेंगे. म्यामां भारत का रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पड़ोसी है और उग्रवाद प्रभावित नगालैंड और मणिपुर समेत पूर्वोत्तर के कई राज्यों के साथ दोनों देश करीब 1,640 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं.
जनरल रावत आंग सान सू की, रक्षा सेवाओं के प्रमुख वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग और रक्षा सेवाओं के उप प्रमुख एवं सेना के प्रमुख उप वरिष्ठ जनरल सो विन से मिलेंगे. आंग सान सू की म्यामां की विदेश मंत्री हैं. इन बैठकों में दोनों पक्षों से सुरक्षा एवं रक्षा संबंधों खासकर दोनों सेनाओं के बीच संबंधों को और विस्तार देने के तरीके तलाशने की उम्मीद है.
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘यह यात्रा रक्षा सहयोग के क्षेत्र में अपने पड़ोसी क्षेत्र तक पहुंचने तथा दोनों देशों के बीच मौजूदा परस्पर सहयोग एवं विश्वास को बढ़ावा देने की दिशा में एक और मील का पत्थर है.’ जनरल रावत के नेशनल डिफेंस कॉलेज के अधिकारियों को संबोधित करने की संभावना है. नेशनल डिफेंस कॉलेज एक प्रतिष्ठित संस्थान है जो म्यामां रक्षा सेवाओं के लिए भविष्य का वरिष्ठ नेतृत्व तैयार करता है.
सेना प्रमुख प्विन ओ ल्विन स्थित डिफेंस सर्विसेज एकेडमी का भी दौरा करेंगे. म्यामां के राष्ट्रपति ह्तीन क्याव ने पिछले साल अगस्त में भारत की यात्रा की थी और उस दौरान दोनों देश सीमाई इलाकों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीमा की सुरक्षा में तैनात बलों के बीच द्विपक्षीय समन्वय बढ़ाने को लेकर सहमत हुए थे.
भारत पूर्वोत्तर क्षेत्र के कुछ उग्रवादी समूहों के म्यामां में पनाह लेने को लेकर चिंतित है. म्यामां भारत को आश्वस्त करता रहा है कि वह किसी भी विद्रोही समूह को भारत के खिलाफ अपनी जमीन का इस्तेमाल नहीं करने देगा. जनरल रावत और म्यामां के सैन्य नेतृत्व के बीच होने वाली बातचीत में कुछ उग्रवादी समूहों की सीमा पार गतिविधियों का मुद्दा उठ सकता है.