लखनऊ/नयी दिल्ली : भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, केंद्रीय मंत्री उमा भारती और नौ अन्य 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश के आरोप में मुकदमे का सामना करेंगे. लखनऊ की एक विशेष अदालत ने आरोपितों के खिलाफ मंगलवार को आरोप तय किये.
आपराधिक साजिश के गंभीर आरोपों के तहत उनके खिलाफ मुकदमा चलेगा. निचली अदालत ने 2001 में उनके खिलाफ ये आरोप हटा दिये थे और 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस फैसले को बरकरार रखा था. उच्च न्यायालय ने 19 अप्रैल को उनके खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप को बरकरार रखने का आदेश दिया था.
आडवाणी (89), जोशी (83), भारती (58), भाजपा सांसद विनय कटियार (62), विहिप के विष्णु हरि डालमिया (89) और साध्वी रितंभरा (53) के खिलाफ आरोप तय किये गये. सभी आरोपित मंगलवार को अदालत के समक्ष उपस्थित हुए थे. विशेष सीबीआई अदालत एसके यादव ने सभी छह आरोपितों में से प्रत्येक को 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी. सीबीआई ने आरोपितों की जमानत याचिका का विरोध किया था. अदालत बुधवार को भी सुनवाई बहाल करेगी.
आरोपितों ने आपराधिक साजिश के आरोप से खुद को आरोप मुक्त करने की मांग की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया. आरोपितों ने अदालत में तकरीबन तीन घंटे बिताये. आपराधिक साजिश का आरोप उनके खिलाफ धार्मिक आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता फैलाने के पहले से मौजूद आरोपों के अतिरिक्त है. समूहों के बीच शत्रुता फैलाने के आरोप में वे पहले ही मुकदमे का सामना कर रहे हैं.
शीर्ष अदालत ने आपराधिक साजिश के आरोपों को बहाल करने के दौरान विध्वंस से जुड़े दोनों मामलों को जोड़ने का निर्देश दिया था. अदालत ने यह भी आदेश दिया था कि दो साल में मुकदमे को समाप्त किया जाये.
इन छह लोगों के अलावा आपराधिक साजिश के आरोप रामविलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा, चंपत राय बंसल, महंत नृत्य गोपालदास, धरमदास और सतीश प्रधान सभी उस वक्त मौजूद थे, जब अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को गिराया गया था. न्यायाधीश यादव ने एक आदेश जमानत देने के लिए और दूसरा आरोप तय करने के लिए दिया.
आरोपी राष्ट्रीय एकता के लिए नुकसानदेह और चोट पहुंचानेवाले या पूजा स्थल को नष्ट करने के आरोपों में पहले ही मुकदमे का सामना कर रहे हैं. उनके खिलाफ जान-बूझ कर और द्वेषपूर्ण कृत्यों में शामिल होना जिसका उद्देश्य धार्मिक भावनाओं को भड़काना, सार्वजनिक शरारत, दंगा और गैर कानूनी सभा कराना समेत अन्य आरोप हैं.
कार्यवाही में हिस्सा लेनेवाले एक वकील ने कहा कि आपराधिक साजिश के आरोप बहाल हो जाने पर दोषसिद्धि की स्थिति में अधिकतम पांच साल के कारावास या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.
आरोपितों के वकील ने आरोप तय किये जाने के खिलाफ दलील दी और खुद को दोषी नहीं माना. उन्होंने कहा कि मस्जिद को गिराने में उनकी कोई भूमिका नहीं है. आडवाणी और अन्य की तरफ से उपस्थित अधिवक्ता सौरभ शमशेरी ने कहा कि वे अपनी टीम के वकीलों के साथ सलाह-मशविरा करेंगे और इस बात पर फैसला करेंगे कि क्या आरोप मुक्त करने की मांग करनेवाले आवेदन को खारिज करने के फैसले को चुनौती देने की आवश्यकता है अथवा नहीं.
आरोपितों को उच्चतम न्यायालय के पिछले महीने के आदेश के आलोक में आरोप तय किये जाने के लिए अदालत के समक्ष उपस्थित होने को कहा गया था. आडवाणी, जोशी और भारती के 25 और 26 मई को अदालत के समक्ष उपस्थित होने में विफल रहने पर विशेष अदालत ने कहा था कि स्थगनादेश या निजी पेशी से छूट के लिए अब और आवेदन पर विचार नहीं किया जायेगा. अदालत ने 26 मई को मंगलवार के लिए सुनवाई की तारीख निर्धारित की थी.
आडवाणी के अदालत में पहुंचने से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां वीवीआईपी गेस्ट हाउस में उनसे मुलाकात की. उच्चतम न्यायालय ने मस्जिद को गिराने को एक ऐसा ‘अपराध’ बताया था, जिसने देश के संविधान के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को हिला दिया था. न्यायालय ने यह बात आडवाणी और अन्य के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप को बहाल करने की मांग करनेवाली सीबीआई की याचिका को मंजूर करने के दौरान कही थी.
हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा था कि भाजपा नेता और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह जब तक राज्यपाल के पद पर रहेंगे, तब तक उन्हें मुकदमे से छूट है. कल्याण सिंह बाबरी मस्जिद को जब गिराया गया था, उस वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. सीबीआई ने इस मामले में 21 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे और विहिप के आचार्य गिरिराज किशोर, अशोक सिंघल, परमहंस रामचंद्र दास और महंत अवैद्यनाथ समेत कई की मौत हो चुकी है. केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने अदालत के समक्ष उपस्थित होने से पहले कहा कि मस्जिद को आपराधिक साजिश के तहत नहीं गिराया गया था, बल्कि खुले आंदोलन के तहत गिराया गया था.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में मौजूद थी, जो रहस्य नहीं है. करोड़ों भाजपा कार्यकर्ता, लाखों अधिकारी और हजारों नेताओं ने उसमें हिस्सा लिया था. यह आपातकाल के खिलाफ आंदोलन की तरह एक खुला आंदोलन था. मैं इसमें कोई साजिश नहीं देखती हूं.” भाजपा सांसद विनय कटियार ने कहा, ‘‘कोई साजिश नहीं थी, क्योंकि ढांचे को बड़ी भीड़ ने खुलेआम गिराया.”
उधर, कांग्रेस ने मंगलवार को केंद्रीय मंत्री उमा भारती के इस्तीफे की मांग की और प्रधानमंत्री से कहा कि वह विधि के शासन और संविधान को कायम करें. भारती के खिलाफ बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लखनऊ की एक विशेष अदालत ने आपराधिक साजिश का आरोप तय किया है.
कांग्रेस ने उम्मीद जतायी कि ढांचे को गिराये जाने के 25 वर्षों बाद न्याय होगा और दोषी को देश के कानून के अनुसार दंडित किया जायेगा. कांग्रेस के संचार विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘आरोपितों में से एक उमा भारती केंद्रीय कैबिनेट मंत्री हैं. आरोप पत्र दायर किये जाने के बाद उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. प्रधानमंत्री को अवश्य आगे आना चाहिए और विधि के शासन और संविधान को कायम करना चाहिए.”