नयी दिल्ली : सीबीआई ने एक ऐसे रैकेट का पर्दाफाश किया है, जिसमें उसका एक अधिकारी शामिल था, जो दो अन्य लोगों के साथ मिल कर एजेंसी का कथितरूप से फर्जी पहचान पत्र जारी करता था. इस रैकेट में कथित तौर पर सीबीआई का एक क्लर्क गुलजारी लाल, लोक नायक भवन का एक कैंटीन संचालक ‘यादव’ और एक महिला शामिल थी. एजेंसी ने हाल में इन आरोपितों के परिसरों की तलाशी ली थी.
सीबीआई के एफआईआर में दावा किया गया है कि एजेंसी को इस गिरोह की गतिविधियों के बारे में तब पता चला, जब वह रिश्वत के एक अन्य मामले की जांच कर रही थी, जिसमें उसका एक डीएसपी नीरज अग्रवाल कथित रूप से शामिल था. इसमें कहा गया कि इस मामले की जांच के दौरान मुंबई में सीबीआई के बैंकिंग धोखाधड़ी जांच विभाग में तैनात अग्रवाल को एक व्यक्ति भास्कर तिवारी उर्फ समीर तिवारी के साथ इस साल 22 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था. इसमें आरोप लगाया गया है कि परिसर की तलाशी के दौरान एजेंसी को तिवारी के पास से एक पहचान पत्र मिला, जिसमें उसे एजेंसी का इंस्पेक्टर बताया गया था.
पूछताछ के दौरान तिवारी ने कथितरूप से स्वीकार किया कि उसे यह पहचान पत्र गुलजारी लाल ने जारी किया था. एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि उसने एजेंसी को बताया कि लोक नायक भवन के एक कैंटीन संचालक ‘यादव’ के जरिये वह गुलजारी लाल के संपर्क में आया था. एफआईआर के मुताबिक, ‘‘भास्कर तिवारी और गुलजारी लाल से पूछताछ के दौरान ‘मामी’ नामक एक महिला का नाम भी सामने आया. जाहिर तौर पर कथित दो व्यक्ति सीबीआई का फर्जी कार्ड तैयार करने और इसका दुरुपयोग करने के एक रैकेट में शामिल हैं.” सीबीआई को आशंका है कि रैकेट में शामिल लोगों ने गलत कार्यों के लिए इस तरह के और फर्जी पहचान पत्र तैयार किये होंगे.