खास है आज का गंगा दशहरा, लंबे समय के बाद बना ऐसा संयोग

नयी दिल्ली : देशभर में आज गंगा दशहरा मनाया जा रहा है. लोग गंगा में पवित्र स्‍नान और दान कर रहे हैं. ऐसी मान्‍यता है कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को हस्त नक्षत्र में मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था. इसी दिन भागीरथ ने मां गंगा को धरती पर लाए थे और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 4, 2017 11:11 AM

नयी दिल्ली : देशभर में आज गंगा दशहरा मनाया जा रहा है. लोग गंगा में पवित्र स्‍नान और दान कर रहे हैं. ऐसी मान्‍यता है कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को हस्त नक्षत्र में मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था. इसी दिन भागीरथ ने मां गंगा को धरती पर लाए थे और यही कारण है कि इस दिन को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है.

* खास है आज का गंगा दशहरा

इस बार का गंगा दशहरा खास है. खास इस मायने में क्‍योंकि लंबे समय के बाद गंगा दशहरा हस्‍त नक्षत्र में पड़ा है. वामन पुराण में उल्लेख किया गया है कि गंगा दशहरा के दिन हस्त नक्षत्र में गंगा पृथ्वी पर आईं थीं. मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन अगर हस्त नक्षत्र भी हो तो इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है.
भविष्यपुराण के अनुसार जो व्यक्ति गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करके जलधारा में खडे़ होकर गंगा स्तोत्र का पाठ करता है उसके कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति अगले जन्म में गंगा स्नान के पुण्य से धन संपन्न व्यक्ति होता है.
* गंगा के 10 मुख्य नाम
हिंदू धर्म में गंगा नदी का विशेष स्थान है, इसे मां स्वरुप माना जाता है. ग्रंथों में गंगा के अनेकों नाम का विवरण मिलता है, गंगा स्त्रोत में भी गंगा के 108 नाम बताये गये हैं.
1. जान्हवी – एक बार जह्नु ऋषि यज्ञ कर रहे थे और गंगा के वेग से उनका सारा सामान बिखर गया. गुस्से में उन्होंने गंगा का सारा पानी पी लिया. जब गंगा ने क्षमा मांगी तो उन्होंने अपने कान से उन्हें वापस बाहर निकाल दिया और अपनी बेटी माना. इसलिए इन्हें जान्हवी कहा जाता है.
2. शिवाया – गंगा नदी को शिवजी ने अपनी जटाओं में स्थान दिया है. इसलिए इन्हें शिवाया कहा गया है.
3. पंडिता- ये नदी पंडितों के सामान पूजनीय है इसलिए गंगा स्त्रोत में इसे पंडिता समपूज्या कहा गया है.
4. मुख्या – गंगा भारत की सबसे पवित्र और मुख्य नदी है. इसलिए इसे मुख्या भी कहा जाता है.
5. हुगली – हुगली शहर के पास से गुजरने के कारण बंगाल क्षेत्र में इसका नाम हुगली पड़ा. कोलकत्ता से बंगाल की खाड़ी तक इसका यही नाम है.
6. उत्तर वाहिनी – हरिद्वार से फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर होते हुए गंगा इलाहाबाद पहुंचती है. इसके बाद काशी (वाराणसी) में गंगा एक वलय लेती है, जिससे ये यहां उत्तर वाहिनी कहलाती है.
7. मंदाकिनी – गंगा को आकाश की और जाने वाली माना गया है इसलिए इसे मंदाकिनी कहा जाता है. आकाश में फैले पिंडों व तारों के समुह को जिसे आकाश गंगा कहा जाता है. वह गंगा का ही रूप है.
8. दुर्गाय – माता गंगा को दुर्गा देवीका स्वरुप माना गया है. इसलिए गंगा स्त्रोत में इन्हें दुर्गाय नमः भी कहा गया है.
9. त्रिपथगा – गंगा को त्रिपथगा भी कहाजाता है. त्रिपथगा यानी तीन रास्तों की और जाने वाली. यह शिव की जटाओं से धरती, आकाश और पाताल की तरफ गमन करती है.
10. भागीरथी – पृथ्वी पर गंगा का अवतरण राजा भागीरथ की तपस्या के कारण हुआ था. इसलिए पृथ्वी की ओर आने वाली गंगा को भागीरथी कहा जाता है.

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