नयी दिल्ली : केंद्र सरकार के गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली (संशोधित बिल) 2021 सोमवार को लोकसभा में पेश किये जाने के बाद दिल्ली की आम आदमी पार्टी की केजरीवाल सरकार ने मोर्चा खोल दिया है. वहीं, कांग्रेस ने भी बिल का विरोध करते हुए कहा है कि इससे लेफ्टनेंट गवर्नमेंट की तानाशाही बढ़ेगी.
एनसीटी संशोधित बिल 2021 के विरोध में आम आदमी पार्टी ने बुधवार को संसद से सड़क तक लड़ाई का एलान कर दिया है. दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने बताया है कि केंद्र के एनसीटी संशोधित बिल 2021 के विरोध में 17 मार्च को पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, पार्षदों के साथ-साथ कार्यकर्ता जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे.
अरविंद केजरीवाल ने विधेयक को संविधान पीठ के फैसले के विपरीत करार देते हुए असंवैधानिक और लोकतंत्र विरोधी कदम बताया है. उन्होंने कहा है कि विधेयक कहता है कि दिल्ली के लिए ‘सरकार’ का मतलब एलजी होगा. सवाल उठाते हुए कहा कि फिर निर्वाचित सरकार क्या करेगी? सभी फाइलें एलजी के पास जायेंगी. यह 4.7.18 संविधान पीठ के फैसले के खिलाफ है, जिसमें कहा गया है कि फाइलें एलजी को नहीं भेजी जायेंगी. निर्वाचित सरकार सभी फैसले लेगी और फैसले की प्रति एलजी को भेजेगी.
The Bill says-
1. For Delhi, “Govt” will mean LG
Then what will elected govt do?
2. All files will go to LG
This is against 4.7.18 Constitution Bench judgement which said that files will not be sent to LG, elected govt will take all decisions and send copy of decision to LG https://t.co/beY4SDOTYI
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 15, 2021
वहीं, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि ”केंद्र सरकार, संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के खिलाफ जाकर दिल्ली की ‘चुनी हुई सरकार’ के अधिकार हमेशा के लिए खत्म कर रही है. लेकिन, कुछ विद्वान इसे ‘केजरीवाल और एलजी के बीच फिर टकराव’ के रूप में पेश कर रहे हैं. यह समझ में कमी है या फिर समझा दिये गये हैं कि कहना क्या है!!”
केंद्र सरकार, संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ जाकर दिल्ली की 'चुनी हुई सरकार' के अधिकार हमेशा के लिए ख़त्म कर रही है. लेकिन कुछ विद्वान इसे 'केजरीवाल और LG के बीच फिर टकराव' के रूप में पेश कर रहे हैं.
यह समझ में कमी है या फिर समझा दिए गए हैं कि कहना क्या है!!
— Manish Sisodia (@msisodia) March 16, 2021
इधर, कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने बिल को को असंवैधानिक बताया है. साथ ही कहा है कि यह संघीय संरचना का उल्लंघन करता है. निर्वाचित सरकार में मगजी है. विधायक को बंदी प्रतिनिधि बनाता है. साथ ही कहा है कि ”इस सरकारों का एक और उदाहरण : सत्ता का अहंकार”.
NCT of Delhi ( Amendment Bill ) 2021
Unconstitutional
Violates Federal Structure
Hems in elected government
Makes MLA’s caged representativesYet another instance of this Governments:
Arrogance of power
— Kapil Sibal (@KapilSibal) March 16, 2021
कोई भी फैसला लागू करने के पहले सरकार को लेफ्टिनेंट गवर्नर की ‘राय’ लेनी होगी. इसमें मंत्रिमंडल के लिये गये फैसले भी शामिल होंगे. विधानसभा के बनाये कानून में सरकार का मतलब ‘एलजी’ होगा. प्रशासनिक फैसलों की जांच विधानसभा या समिति नहीं कर सकती. उल्लंघन में बने सभी नियम रद्द हो जायेंगे. राजधानी का दर्जा केंद्रशासित प्रदेश जैसा हो जायेगा.
वर्तमान अधिनियम की धारा 44 में केंद्र सरकार नया प्रावधान जोड़ना चाहती है. प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक, दिल्ली में लागू कानून के तहत सरकार, राज्य सरकार, उचित सरकार, उप राज्यपाल, प्रशासक या मुख्य आयुक्त या किसी के फैसले को लागू करने से पहले संविधान के अनुच्छेद 239AA की धारा 4 के तहत ऐसे सभी मामलों के लिए उपराज्यपाल की राय लेनी होगी. यह विषय एलजी एक सामानय या विशेष आदेश के जरिये स्पष्ट कर सकते हैं.