AAP:आतिशी कैबिनेट में अनुभवी चेहरे पर जताया भरोसा, सिर्फ एक नये चेहरे को मिला मौका
आतिशी कैबिनेट में गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन पहले की तरह शामिल रहेंगे. जबकि मुकेश अहलावत नये चेहरे के तौर पर पहली बार मंत्री बनेंगे. पार्टी का मानना है कि दिल्ली में पांच महीने के अंदर विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में मंत्रिमंडल में अनुभवी चेहरों को दरकिनार करने के सियासी नुकसान हो सकते है.
AAP: दिल्ली की नयी मुख्यमंत्री आतिशी का शपथ ग्रहण 21 सितंबर को होगा. आतिशी मंत्रिमंडल में सिर्फ एक चेहरे को छोड़कर बाकी पुराने मंत्रियों को जगह मिलेगी. आतिशी कैबिनेट में गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन पहले की तरह शामिल रहेंगे. जबकि मुकेश अहलावत नये चेहरे के तौर पर पहली बार मंत्री बनेंगे. आम आदमी पार्टी ने गुरुवार को नये मंत्रियों की जानकारी सार्वजनिक की. पार्टी का मानना है कि दिल्ली में पांच महीने के अंदर विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में मंत्रिमंडल में अनुभवी चेहरों को दरकिनार करने के सियासी नुकसान हो सकते है. सभी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए मंत्रियों का चयन किया गया. मौजूदा समय में दिल्ली कैबिनेट में दलित वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं था. राजकुमार आनंद के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद दलित समाज की कैबिनेट में भागीदारी नहीं थी. इसके अलावा आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र पाल गौतम कांग्रेस पार्टी में शामिल हो चुके है. उन्होंने आम आदमी पार्टी में दलितों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.
दलित वर्ग को साधने की कवायद
आतिशी कैबिनेट में मुकेश अहलावत को जगह देकर आम आदमी पार्टी ने दलित वर्ग को साधने की कवायद की है. सुल्तानपुर माजरा के विधायक मुकेश अहलावत युवा हैं और अपने इलाके में काफी सक्रिय रहते हैं. अपने इलाके में मुकेश अहलावत काफी लोकप्रिय है और लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र से इंडिया गठबंधन उम्मीदवार को अच्छी लीड मिली थी. पहली बार विधायक बने मुकेश अहलावत की स्वच्छ छवि है और पार्टी को उम्मीद है कि अहलावत के जरिये दलित वोटरों को साधने में मदद मिलेगी. दिल्ली में दलितों की आबादी लगभग 12 फीसदी है. दलितों के बीच कांग्रेस भी जनाधार बढ़ाने की कोशिश में जुटी हुई है. कांग्रेस अल्पसंख्यक और दलित वर्ग को साधने के लिए लगातार जनसंपर्क अभियान चला रही है. भाजपा भी दलित वर्ग को साधने के लिए दलित बहुल इलाकों में सक्रिय हो गयी है. ऐसे में मुकेश अहलावत को मंत्री बनाकर आम आदमी पार्टी डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश में है. देखने वाली बात होगी कि इस दांव से पार्टी को कितना फायदा होता है.
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