AAP: दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अरविंद केजरीवाल के नये आशियाने को लेकर आम आदमी पार्टी में मंथन चल रहा है. केजरीवाल ने 15 दिनों के अंदर मौजूदा आवास खाली करने और मुख्यमंत्री के तौर पर मिल रही सभी सुविधाओं को छोड़ने की बात कही है. आम आदमी पार्टी केजरीवाल के सुरक्षा को लेकर सरकार से नये आवास मुहैया कराने की मांग की है. आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रमुख हैं और चुनाव आयोग के नियम के तहत सरकारी आवास पाने के हकदार है. ऐसे में केंद्र सरकार को तत्काल केजरीवाल के लिए सरकारी आवास का आवंटन करना चाहिए. इस बाबत केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के निदेशक को पार्टी की ओर से पत्र लिखा गया है. मौजूदा समय में देश में मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दल के प्रमुखों को दिल्ली में सरकार की ओर से आवास मुहैया कराया गया है. ऐसे में सरकार को इन नियमों का पालन करते हुए केजरीवाल के लिए सरकारी आवास मुहैया कराना जरूरी है. आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि अरविंद केजरीवाल के पास दिल्ली में अपना कोई मकान नहीं है. ऐसे में कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों से मुलाकात के लिए उन्हें एक आवास दिया जाना चाहिए.
जंतर-मंतर पर जनता की अदालत से शुरू होगा जनसंपर्क अभियान
आबकारी नीति मामले में आरोपों का सामना कर रहे केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया और आतिशी को दिल्ली की कमान सौंपी. पांच महीने जेल में रहने के कारण केजरीवाल की छवि को नुकसान पहुंचा है. ऐसे में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद वे आम लोगों के बीच पहुंचने की कवायद में जुट गये हैं और इसकी शुरुआत रविवार को जंतर-मंतर से होगी. केजरीवाल रविवार को जंतर-मंतर पर “जनता की अदालत” का आयोजन करेंगे. इस कार्यक्रम में पार्टी के सभी सांसद, विधायक, पार्षद के अलावा कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे. जंतर-मंतर से केजरीवाल और आम आदमी का पुराना नाता रहा है.
इसी जगह से वर्ष 2013 में आम आदमी पार्टी के गठन की घोषणा की गयी थी. इस कार्यक्रम में अरविंद केजरीवाल अपनी बात रखेंगे और दिल्ली के लोगों के लिए किए गए कामों का ब्यौरा पेश करेंगे. पार्टी नेताओं का कहना है कि यह दिल्ली चुनाव के लिए जनसंपर्क अभियान की शुरुआत होगी. केजरीवाल लोगों को यह बताने की कोशिश करेंगे कि दिल्ली के लोगों के हित में काम करने के कारण साजिश के तहत उन्हें और पार्टी के अन्य नेताओं को झूठे मुकदमे में फंसाने की साजिश रची गयी.