AAP: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा के बाद नये मुख्यमंत्री के नाम की चर्चा तेज हो गयी है. दिल्ली का नया मुख्यमंत्री कौन होगा यह तो मंगलवार को तय होगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिरकार केजरीवाल किसे मुख्यमंत्री का पद सौंपने की तैयारी कर रहे हैं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि केजरीवाल ऐसे किसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री का पद नहीं सौंपना चाहेंगे जो उनकी छाया से मुक्त हो जाए. पहले के कई उदाहरण है कि कि मुख्यमंत्री की कुर्सी अपने खास नेता को सौंपने के बाद वे अपनी मर्जी से सरकार चलाने लगता है और बाद में उसे कुर्सी से हटाना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में सवाल है कि क्या केजरीवाल पार्टी के किसी नेता के बजाय राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की तरह अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को गद्दी सौंपेंगे. लेकिन जानकारों का कहना है कि मौजूदा राजनीतिक हालात में केजरीवाल से लिए यह कदम आत्मघाती साबित हो सकता है. क्योंकि केजरीवाल ने सहानुभूति हासिल करने के लिए इस्तीफा दिया है और सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाने से सहानुभूति फैक्टर कमजोर हो जायेगा.
दलित, महिला या वैश्य पर लगा सकते हैं दांव
आम आदमी पार्टी के दो प्रमुख चेहरे राजेंद्र पाल गौतम कांग्रेस और राजकुमार आनंद भाजपा में शामिल हो चुके हैं. आम आदमी पार्टी का जनाधार दलित वोटरों में रहा है. लेकिन इन दो नेताओं के इस्तीफे के बाद दलित वोटरों पर आम आदमी की पकड़ कमजोर हो रही है और कांग्रेस का आधार मजबूत हो रहा है. लोकसभा चुनाव परिणाम के नतीजों पर गौर करें तो कांग्रेस के पक्ष में दलितों और अल्पसंख्यक वोटरों का झुकाव पहले के मुकाबले बढ़ा है. दलित और अल्पसंख्यक वोटरों के कांग्रेस की ओर जाना आम आदमी पार्टी के लिए खतरे का संकेत है. ऐसे में पार्टी इन मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए किसी दलित चेहरे को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश कर सकती है. लेकिन आम आदमी पार्टी की इस रणनीति के भी खतरे हैं.
विपक्षी दल यह प्रचारित करने की कोशिश करेंगे कि केजरीवाल ने दलितों को कुछ समय के लिए मुख्यमंत्री बनाकर इस वर्ग को बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं. ऐसे में आप की इस रणनीति के खतरे हैं. पार्टी किसी महिला को भी मुख्यमंत्री बना सकती है. आधी आबादी को साधने की यह बेहतर कवायद हो सकती है. लेकिन बाद में किसी महिला को हटाकर फिर से सत्ता संभालने के भी खतरे बताये जा रहे हैं. इस स्थिति में विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल का नाम उभरकर सामने आ रहा है. गोयल वरिष्ठ भी है और उनके नाम पर किसी को ऐतराज भी नहीं हाे सकता है. जानकार यह भी कहते हैं कि बाद में गोयल से सत्ता हस्तांतरण में भी केजरीवाल को ज्यादा दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ सकता है. बहरहाल सभी की नजर मंगलवार को विधायक दल की बैठक पर टिकी है, जिसमें नये नाम की घोषणा होगी.
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