AAP: दिल्ली आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व सवालों के घेरे में हैं. आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके हैं. उनकी जगह आतिशी ने मुख्यमंत्री की कमान संभाली है. लेकिन आम आदमी पार्टी की कोशिश अरविंद केजरीवाल की छवि को एक नायक और ईमानदार नेता के तौर पर पेश करने की है. आतिशी के चयन के बाद पार्टी नेताओं के बयान से साफ हो गया कि वे सिर्फ चुनाव तक इस पद पर काबिज रहेगी. सोमवार को मुख्यमंत्री का कार्यभार संभालने के दौरान आतिशी ने अरविंद केजरीवाल के लिए कुर्सी खाली रखी और खुद दूसरी कुर्सी पर बैठी. आतिशी की यह पहल यह दर्शाने के लिए काफी है अरविंद केजरीवाल ही मुख्यमंत्री पद के असली हकदार है और वे सिर्फ भरत की तरह इस कुर्सी पर काबिल हुई है.
वनवास का दौर खत्म होते ही केजरीवाल मुख्यमंत्री की कमान संभालेंगे. आम आदमी पार्टी की कोशिश केजरीवाल की छवि को चमकाने की है. वह जनता में यह संदेश देना चाहती है कि केजरीवाल के लिए सत्ता मायने नहीं रखती है और वे आम लोगों के हित में कुर्सी छोड़ सकते हैं. यही नहीं आम आदमी पार्टी यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि दिल्ली सत्ता पर 10 साल से अधिक समय तक काबिज रहने के बाद भी अरविंद केजरीवाल के पास अपना कोई स्थायी आवास नहीं है. ऐसे में राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते केंद्र सरकार से आवास मुहैया कराने की मांग पार्टी की ओर से की जा रही है.
भावनात्मक माहौल पैदा कर सहानुभूति हासिल करने की कोशिश में है पार्टी
दिल्ली के शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और अन्य नेताओं को कई महीने जेल में बिताने में पड़े. सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद आप का शीर्ष नेतृत्व जमानत पर बाहर है. इस मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की ओर से विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है और जल्द ही इस मामले में ट्रायल शुरू होने की संभावना है. शराब घोटाले के कारण आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की ईमानदार छवि को नुकसान पहुंचा है. लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन के बावजूद भाजपा दिल्ली की सभी सीटों पर चुनाव जीतने में कामयाब रही. जबकि अंतरिम जमानत मिलने के बाद केजरीवाल की ओर से सहानुभूति कार्ड खेलने की पूरी कोशिश की गयी, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल पायी.
ऐसे में आबकारी नीति मामले में रेगुलर बेल मिलने के बाद अपनी छवि को चमकाने के लिए केजरीवाल ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने के साथ ही अपना आवास छोड़ने की बात कही. केजरीवाल के आवास पर हुआ खर्च भी विवादों में रहा है. पद और आवास त्याग कर केजरीवाल लोगों को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके लिए सत्ता महत्वपूर्ण नहीं है. पार्टी का मानना है कि इससे दिल्ली की जनता के बीच केजरीवाल को लेकर सहानुभूति पैदा होगी, जिसका फायदा फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव में मिल सकता है.