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AAP: मुस्लिम मत छिटकने के डर से नरेश यादव चुनावी मैदान से हटे

नरेश यादव की उम्मीदवारी वापस लेने की वजह सियासी बतायी जा रही है. यादव को कुरान की बेअदबी मामले में अदालत दो साल की सजा सुना चुकी है. नरेश यादव को दोबारा प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर कांग्रेस और भाजपा बड़ा मुद्दा बना रहे थे.

AAP: आम आदमी ने दिल्ली की सभी 70 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. इस बीच महरौली विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाए गए नरेश यादव ने चुनाव लड़ने का इंकार कर दिया और पार्टी ने उनकी जगह महेंद्र चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. यादव ने शुक्रवार को कहा कि 12 साल पहले अरविंद केजरीवाल की ईमानदारी से प्रभावित होकर राजनीति में आया था. आम आदमी पार्टी ने मुझे बहुत कुछ दिया है. अरविंद से मिलकर मैंने कहा कि अदालत से बरी होने तक चुनाव नहीं लड़ूंगा. हालांकि  यादव की उम्मीदवारी वापस लेने की वजह सियासी बतायी जा रही है. यादव को कुरान की बेअदबी मामले में अदालत दो साल की सजा सुना चुकी है.

नरेश यादव को दोबारा प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर कांग्रेस और भाजपा बड़ा मुद्दा बना रहे थे. कांग्रेस इस मामले में काफी आक्रामक थी. कांग्रेस आरोप लगा रही कि कुरान की बेअदबी मामले में दोषी ठहराए जाने के बावजूद आम आदमी पार्टी ने यादव को उम्मीदवार बनाया है और केजरीवाल को मुस्लिम हितों की कोई चिंता नहीं है. इसका मुस्लिम मतदाताओं के बीच असर पड़ रहा था. सूत्रों का कहना है कि आम आदमी ने मुस्लिम बहुल इलाकों से मिले फीडबैक के बाद यादव को उम्मीदवारी वापस लेने के लिए मनाया और यादव ने सोशल मीडिया पर इसकी घोषणा कर दी. पार्टी को डर था कि यदि नरेश यादव उम्मीदवार रहे तो मुस्लिम मतदाता पार्टी के खिलाफ जा सकते हैं. 


क्या है मामला

पंजाब के मलेरकोटला जिले में कुरान की बेदअबी का मामला सामना आया था. इसके बाद मलेकरकोटला में भीड़ ने अकाली विधायक के आवास पर हमला कर दिया था. पुलिस ने मामले की जांच के दौरान मुख्य साजिशकर्ता विजय को गिरफ्तार किया और उसने पुलिस को बताया कि आप विधायक नरेश यादव के कहने पर कुरान की बेदअबी की गयी थी. मार्च 2021 में एक निचली अदालत ने नरेश यादव को बरी कर दिया था. लेकिन शिकायतकर्ता मोहम्मद अशरफ ने इसके खिलाफ जिला अदालत में अपील की और अदालत ने नरेश यादव को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनायी.

  गौरतलब है कि नरेश यादव पिछला दो चुनाव महरौली से जीत रहे हैं और पार्टी ने तीसरी बार मैदान में उतारा. लेकिन मुस्लिम वोट छिटकने के डर से उन्हें उम्मीदवारी छोड़नी पड़ी. इस बार दिल्ली की मुस्लिम बहुल सीटों पर ओवैसी की पार्टी भी चुनाव लड़ रही है. ओवैसी मुस्लिम मुद्दों को मुखरता से उठाने के लिए जाने जाते हैं. 

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