AAP: दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा और आतिशी के नये मुख्यमंत्री के तौर पर चयन के बाद मंत्रिमंडल गठन की कवायद तेज हो गयी है. आतिशी के मुख्यमंत्री बनने के बाद मंत्रिमंडल में कौन शामिल होगा, इसको लेकर चर्चा तेज गयी है. दिल्ली में मुख्यमंत्री सहित सात मंत्री बन सकते हैं. आतिशी के शपथ ग्रहण के साथ ही मंत्रियों के भी शपथ लेने की संभावना है.
ऐसे में अब सभी की निगाहें इस बात पर लगी है कि आतिशी क्या मंत्रिमंडल में पुराने चेहरे के साथ आगे बढ़ेगी या नये चेहरे को माैका देंगी. दिल्ली विधानसभा चुनाव में करीब पांच महीने का वक्त बचा है. हालांकि आम आदमी पार्टी महाराष्ट्र और झारखंड के साथ दिल्ली विधानसभा का चुनाव नवंबर में कराने की मांग कर रही है, लेकिन इस मांग को पूरा करना संभव नहीं है. क्योंकि अभी दिल्ली में मतदाता सूची को तैयार करने का काम चल रहा है और इसमें समय लगना तय है. यही नहीं अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश नहीं की है. आतिशी को नया मुख्यमंत्री चुना गया है.
आतिशी मंत्रिमंडल में सामाजिक समीकरण साधने की होगी कवायद
दिल्ली में फरवरी में नयी विधानसभा का गठन होना है. यानी दिसंबर के अंत तक दिल्ली में चुनाव आयोग विधानसभा चुनाव की घोषणा कर सकता है. ऐसे में आतिशी के नेतृत्व वाली सरकार के पास मुश्किल से काम करने के लिए तीन महीने का ही समय बचा है. ऐसे में आम आदमी पार्टी की कोशिश होगी कि मंत्रिमंडल में कुछ पुराने चेहरों के साथ नये को भी मौका दिया जाए. मंत्रिमंडल गठन में पूर्वांचली और दलित समुदाय को भागीदारी दी जा सकती है. दिल्ली में पूर्वांचली मतदाता प्रभावी भूमिका में हैं और ऐसे में किसी मुखर पूर्वांचली चेहरे को मौका दिया जा सकता है. मौजूदा समय में गोपाल राय मंत्री के तौर पर शामिल हैं. लेकिन स्वास्थ्य कारणों के कारण वे पूर्वांचली समाज का प्रतिनिधित्व करते नहीं दिख रहे हैं. राय मंत्री के साथ ही आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश के प्रमुख भी है. ऐसे में गोपाल राय की जगह दिलीप पांडे, संजीव झा और दुर्गेश पाठक को मौका मिल सकता है. इसके अलावा अनुसूचित जाति के दो विधायक राजकुमार आनंद और राजेंद्र पाल गौतम के इस्तीफे के कारण मौजूदा समय में इस समाज को प्रतिनिधित्व देने के लिए किसी नये चेहरे को मौका मिल सकता है. लेकिन देखने वाली बात होगी कि इस कवायद का आम को कितना सियासी फायदा होता है.