आम आदमी पार्टी का आरोप : पंजाब में भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं गवर्नर, ना लांघे लक्ष्मण रेखा
आप नेता और पंजाब के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि उनकी सरकार कोई टकराव नहीं चाहती, लेकिन यदि कोई सत्ताधारी दल को इसके संवैधानिक अधिकारों के इस्तेमाल से रोकता है, तो यह अमान्य होगा.
चंडीगढ़/नई दिल्ली: पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) ने शनिवार को राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के खिलाफ हमला तेज करते हुए आरोप लगाया कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इशारे पर काम कर रहे हैं. इस बीच, नई दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने उनसे कहा कि वह अपनी सीमा का ध्यान रखें और ‘लक्ष्मण रेखा नहीं लांघें.’ राज्यपाल कार्यालय की ओर से इसके पहले 27 सितंबर को प्रस्तावित विधानसभा सत्र में किये जाने वाले विधायी कार्यों का ब्योरा मांगा गया था, जिसके बाद यह ताजा हमला किया गया. पिछले 22 सितंबर को ‘विश्वास प्रस्ताव’ लाए जाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित करने से सरकार को रोकने के बाद से पुरोहित आलोचनाओं से घिर गये थे.
पंजाब में ऑपरेशन लोटस को सफल बनाना मकसद
आप नेता और पंजाब के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि उनकी सरकार कोई टकराव नहीं चाहती, लेकिन यदि कोई सत्ताधारी दल को इसके संवैधानिक अधिकारों के इस्तेमाल से रोकता है, तो यह अमान्य होगा. चंडीगढ़ में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए अरोड़ा ने पुरोहित पर 22 सितंबर को प्रस्तावित विशेष सत्र को रद्द करने का आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने ऐसा भाजपा नीत केंद्र सरकार की पहल पर किया, ताकि पार्टी के ‘ऑपरेशन लोटस’ को सफल बनाया जा सके.
75 साल के इतिहास में शर्मनाक घटना
कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने आरोप लगाया कि राज्यपाल भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कल एक शर्मनाक वाकया हुआ, जो पिछले 75 साल के इतिहास में नहीं हुआ. राज्यपाल ने विधायी कार्यों के बारे में जानने के वास्ते पंजाब सरकार के लिए एक नया पत्र जारी किया. उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब में भाजपा के दो विधायक हैं और कांग्रेस उसका समर्थन कर रही है. उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि केंद्र ने विपक्ष की भूमिका निभाने की जिम्मेदारी राज्यपाल को दे दी है, जिसके कारण हर दिन पत्र जारी किये जा रहे हैं. उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया.
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सदन पर जनप्रतिनिधियों का अधिकार
कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि सदन के विधायी कार्यों की सूची राज्यपाल को भेजने का कोई प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा कि सदन का इस पर 100 फीसदी अधिकार है. चुने गये जनप्रतिनिधि सदन की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) के सदस्य होते हैं, जिसके अध्यक्ष विधानसभा अध्यक्ष होते हैं. इस मामले में राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं है. उन्होंने कहा कि यदि 117 विधायक सार्वजनिक मुद्दों पर चर्चा और समाधान करना चाहते हैं, तो वह क्यों डर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि गैर-भाजपा सरकारों वाले राज्यों में राज्यपाल निवास ‘‘साजिश रचने” के स्थान बन गए हैं.