Aayush Ministry:देश की अधिकांश लड़कियां एनीमिया की शिकार है. एनीमिया को दूर करने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए जा रहे हैं. इस बीच एक अध्ययन से यह बात सामने आयी है कि देश की परंपरागत चिकित्सा पद्धति सिद्धा के दवाओं के मिश्रण से एनीमिया को दूर किया जा सकता है. पब्लिक हेल्थ इनिशिएटिव का संचालन करने वाले शोधकर्ताओं के प्रतिष्ठित इंडियन जर्नल ऑफ ट्रेडिशनल नॉलेज में हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में यह दावा किया गया है. अध्ययन के अनुसार सिद्ध दवाओं के मिश्रण से लड़कियों में एनीमिया को दूर करने में मदद मिली है. यह अध्ययन आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान (एनआईएस), तमिलनाडु स्थित जेवियर रिसर्च फाउंडेशन और वेलुमैलु सिद्ध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के शोधकर्ताओं ने किया है. शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान पाया कि सिद्ध दवाओं का मिश्रण एनीमिया से ग्रस्त लड़कियों में हीमोग्लोबिन के स्तर के साथ-साथ पीसीवी-पैक्ड सेल वॉल्यूम, एमसीवी-मीन कॉर्पस्कुलर हीमोग्लोबिन और एमसीएच-मीन कॉर्पस्कुलर हीमोग्लोबिन में सुधार कर रहा है.
एनीमिया से मुक्त अभियान को मिलेगी मजबूती
इस अध्ययन में 2648 लड़कियों को शामिल किया गया, जिनमें से 2,300 लड़कियों को 45 दिन तक सिद्ध की दवा दी गयी. इसके बाद जांच में पाया गया कि लड़कियों में सांस फूलना, थकान, चक्कर, सिरदर्द, भूख न लगना और पीलापन जैसी स्थितियों में काफी सुधार पाया गया. अध्ययन में विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के तय मानक के अनुसार लड़कियों में एनीमिया के स्तर में सुधार पाया गया. शोधकर्ताओं ने पाया कि 45 दिन की दवा के बाद लड़कियों में थकान, बालों के झड़ने, सिरदर्द, रुचि की कमी और मासिक धर्म की अनियमितताओं जैसे एनीमिया के लक्षण काफी कम हो गए. अध्ययन के निष्कर्षों के प्रभाव और महत्व के बारे में जानकारी देते हुए राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान की निदेशक डॉक्टर आर मीना कुमारी ने कहा कि सिद्ध औषधि की आयुष मंत्रालय की सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों में उल्लेखनीय भूमिका है. यह सरकार के एनीमिया मुक्त भारत अभियान में प्रभावी भूमिका अदा करेगा.