Aayush: देश में परंपरागत चिकित्सा के लिए शोध और वैश्विक समझौते पर दिया जा रहा है जोर

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ डोनर समझौता किया गया है, जिसके तहत आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर प्रसारित करने के लिए आयुष मंत्रालय डब्लूएचओ के साथ मिलकर वैश्विक स्तर पर काम कर रहा है.

By Anjani Kumar Singh | September 27, 2024 6:33 PM

Aayush: चिकित्सा क्षेत्र में परंपरागत चिकित्सा पद्धति के प्रति लगातार आकर्षण बढ़ रहा है. आयुर्वेद और अन्य चिकित्सा पद्धति को बढ़ाने लिए सरकार की ओर से लगातार कदम उठाए जा रहे हैं. मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के दौरान आयुष मंत्रालय की ओर से 100 दिनों में कई अहम कदम उठाए गए है. इस दौरान 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ डोनर समझौता किया गया है. इस समझौते के तहत आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर प्रसारित करने के लिए आयुष मंत्रालय विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर वैश्विक स्तर पर काम कर रहा है. यह समझौता भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में बेहतर तरीके से एकीकृत करने और साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा के लिए मजबूत आधार बनाने का काम करेगी. इसके अलावा वियतनाम के साथ औषधीय पौधों पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया  समझौते का मकसद औषधीय पौधों पर शोध और जानकारी के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है. 

दूसरे देशों में आयुर्वेद को बढ़ावा देने की हो रही है कोशिश

भारत सरकार दूसरे देशों में भी परंपरागत भारतीय चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने का काम लगातार कर रही है. इसके तहत मलेशिया के साथ आयुर्वेद पर ऐतिहासिक समझौता किया गया है. भारत ने मलेशिया के पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए आयुष चेयर के रूप में आयुर्वेद विशेषज्ञ को मलेशिया भेजा है, जो मलेशिया की यूनिवर्सिटी में आयुर्वेद पढ़ाएंगे और रिसर्च के लिए वहां आयुर्वेद को बढ़ावा देने का काम करेंगे. इसके अलावा भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी फार्माकोपिया आयोग और भारतीय फार्माकोपिया आयोग ने “वन हर्ब, वन स्टैंडर्ड” पहल को लागू करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है.

इसका उद्देश्य हर्बल दवाओं को मानकीकृत करना है ताकि उनकी प्रभावशीलता और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. देश में इसके विस्तार के लिए सरकार हर तहसील में आयुष दवाओं के लिए विशेष चिकित्सा स्टोर खोलेगी, जिससे शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में लोगों को आयुष चिकित्सा तक पहुंच सुनिश्चित हो सकेगी. इसके अलावा आयुष उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना आईआईएससी बेंगलुरु, आईआईटी दिल्ली और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में किया गया है. 

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