Telengana News: हैदराबाद पुलिस ने ऋण ऐप कंपनियों के खिलाफ कमर कसनी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में ऐसी कंपनियों से जनता को परेशान होने से रोकने के लिए पुलिस ने प्रदेश में बिना लाइसेंस के व्यवसाय चलाने की मनाही कर दी है. यहीं नहीं ऋण ऐप्स के खिलाफ निजाम युग के साहूकार अधिनियम को लागू किया है. गौरतलब है कि पुलिस ने एक आईटी कंपनी के कर्मचारी की शिकायत के बाद यह फैसला लिया है. पीड़ित कर्मचारी ने पुलिस से लोन ऐप कंपनी के खिलाफ 25 अगस्त को शिकायत दर्ज की थी.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबित, हैदराबाद पुलिस से एक महिला आईटी कर्मचारी ने शिकायत की थी कि ऋण ऐप कंपनियों की ओर उसकी आपत्तिजनक तस्वीरों को सार्वजनिक करने की धमकी दी गई थी. यही नहीं ऋण ऐप कंपनियों ने 40,000 रुपये के ऋण के बदले उससे 2.4 लाख रुपये का भुगतान कराया. वहीं पुलिस ने मामले सामने आने के बाद निजाम जमाने का कानून लगाते हुए कंपनी के खिलाफ तेलंगाना मनी लाउंड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है.
गौरतलब है कि यह नियम पहले पहल निजामों के शासन काल में प्रयोग में लाई गई थी. इसके बाद एकीकृत आंध्र प्रदेश में इसी नियम को लागू किया गया. बाद में तेलंगाना में भी इस नियम को स्वीकार किया गया. मनी लेंडर्स एक्ट का इस्तेमाल राज्यों द्वारा काबुलीवाला के खिलाफ इस्तेमाल किया गया जो इस कारोबार में जमे हुए थे.
साइबराबाद पुलिस के लीगल एडवाइजर ने कहा कि तेलंगाना मनी लेंडर्स एक्ट का इस्तेमाल शुरू में उन ‘पहलवानों’ के खिलाफ किया था जो लोन लेने वालों से उच्च ब्याज वसूलते थे. सरकार के अधिनियम की धारा 3 के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति सरकार से लाइसेंस लिए बिना लोन लेन-देन का कारोबार नहीं कर सकता. नियम के मुताबिक अगर कोई ऐसा करता हुआ पकड़ा गया तो उसे 6 महीने की जेल या फाइन भरना होगा. यह नियम लोन ऐप कंपनी के खिलाफ भी इस्तेमाल किया जाएगा.
क्या है मामला: पीड़िता के मुताबिक, उसने लोन ऐप कंपनी, वंडर लोन, कैश एडवांस, हैंड लोन और विंटर लोन डाउनलोड किया था. यहीं नहीं अलग अलग समय पर उसने 40 हजार रुपये का तत्काल ऋण भी लिया था, लेकिन लोन की वसूली के लिए जल्द ही कंपनी की ओर से उसे धमकी दी जाने लगी और उसकी आपत्तिजनक फोटो भेजी जाने लगी. हालांकि इस बीच पीड़िता ने 40 हजार के एवज में 2.4 लाख रुपये का भी भुगतान किया.