रेहाना फातिमा एक कार्यकर्ता हैं. उन्होंने नाबालिग बच्चों के लिए अर्ध-नग्न तस्वीर खिंचवाते हुए, उन्हें अपने शरीर पर पेंट करने की अनुमति दे रही थी, और इसपर वीडियो बनवा कर सोशल मीडिया पर वायरल करवाया था. इस मामले पर विवाद बढ़ गया. केरल में पुलिस ने एक विवादित वीडियो के मामले में बृहस्पतिवार को कार्यकर्ता रेहाना फातिमा के आवास की तलाशी ली और उनका मोबाइल फोन और लैपटॉप जब्त कर लिया. फातिमा का एक वीडियो सामने आया था जिसमें वह अर्द्धनग्न अवस्था में अपने बच्चे से शरीर पर पेंट करवाती नजर आयीं.
पुलिस ने कहा कि मामले में जांच का सामना कर रही फातिमा तलाशी के समय अपने घर पर नहीं थीं. उन्होंने बताया, ‘‘फातिमा अपना मोबाइल फोन लिए बिना घर से निकल गयी थी. निगरानी से बचने के लिए शायद उन्होंने यह कदम उठाया था.” सोशल मीडिया पर ‘‘बॉडी एंड पॉलिटिक्स’ शीर्षक से ‘आपत्तिजनक’ वीडियो पोस्ट करने के लिए केरल पुलिस की साइबर शाखा ने बच्चों का यौन शोषण से संरक्ष (पॉक्सो) कानून और आईटी कानून की विभिन्न धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया है. इससे पहले, भाजपा के ओबीसी मोर्चा के नेता ए वी अरूण प्रकाश की शिकायत पर सूचना प्रौद्योगिकी कानून और किशोर न्याय कानून के तहत पत्तनमथिटा जिले में पुलिस ने महिला के खिलाफ मामला दर्ज किया. केरल के बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मामले में 10 दिन के भीतर पत्तनमथिटा जिला पुलिस प्रमुख से एक रिपोर्ट मांगी है.
शुक्रवार को रेहाना फातिमा ने केरल उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत की मांग की. अपनी जमानत याचिका में, रोहाना ने कहा कि वह एक ऐसी कार्यकर्ता हैं, जो शरीर के भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं. याचिकाकर्ता ने कहा कि जहां तक बच्चों की बात है तो उन्हें यौन शिक्षा दी जानी चाहिए और शरीर तथा उसके अंगों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए ताकि वे अंगों को केवल यौन संबंधों का साधन ना देखते हुए विभिन्न माध्यमों से देख सकें। उन्होंने कहा कि जनता की नाराजगी अपराध दर्ज करने और मुकदमा चलाने का कारण और तर्क नहीं हो सकती।
कोच्चि शहर पुलिस ने पॉक्सो कानून और आईटी अधिनियम के अनेक प्रावधानों तथा केरल पुलिस की साइबर शाखा की रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर ‘बॉडी एंड पॉलिटिक्स’ शीर्षक से डाले गए वीडियो के सिलसिले में मामला दर्ज किया. इससे पहले भाजपा ओबीसी मोर्चा के नेता ए वी अरुण प्रकाश की शिकायत पर पत्तनमतिट्ठा जिले में एक मामला दर्ज किया गया था. केरल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जिला पुलिस प्रमुख से 10 दिन के भीतर मामले में रिपोर्ट देने को कहा. सितंबर 2018 में उच्चतम न्यायालय द्वारा सबरीमला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दिये जाने के बाद फातिमा ने मंदिर में प्रवेश का प्रयास किया था, लेकिन हिंदू कार्यकर्ताओं और श्रद्धालुओं के प्रदर्शन के बाद उन्हें लौटना पड़ा था. बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.