अधीर रंजन चौधरी की टिप्पणी पर सदन में जोरदार हंगामा, भाजपा ने कहा- माफी मांगे सोनिया गांधी
महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इस विषय को उठाते हुए कहा कि सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ‘राष्ट्रपत्नी' कहकर उनका अपमान किया.
कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी के बयान को लेकर संसद में घमासान जारी है. भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेकर सदन के बाहर की गयी एक टिप्पणी को लेकर गुरुवार को विपक्षी दल को ‘आदिवासी और गरीब विरोधी’ करार दिया. भाजपा कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी से इस पर माफी की मांग की.
अधीर रंजन चौधरी ने ‘सड़क पर जाकर’ अपमान किया
हंगामे के बीच लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गयी. निचले सदन की कार्यवाही पूर्वाह्न 11 बजे शुरू हुई तो महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इस विषय को उठाते हुए कहा कि सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ‘राष्ट्रपत्नी’ कहकर उनका अपमान किया. ईरानी ने कहा कि राष्ट्र के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर विराजित मुर्मू का चौधरी ने ‘सड़क पर जाकर’ अपमान किया.
कांग्रेस महिला विरोधी, गरीब विरोधी और आदिवासी विरोधी
महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता के इस कृत्य को और ‘महिला राष्ट्रपति के इस अपमान’ को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की स्वीकृति थी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष देश से माफी मांगें. उन्होंने कांग्रेस को महिला विरोधी, गरीब विरोधी और आदिवासी विरोधी करार दिया. इस दौरान सोनिया गांधी और चौधरी सदन में उपस्थित थे. ईरानी के साथ भाजपा के अनेक सांसद और विशेष रूप से पार्टी की सभी महिला सांसद इस दौरान खड़े होकर कांग्रेस नेता की टिप्पणी का विरोध करते देखी गयीं.
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अधीर रंजन चौधरी ने आखिर क्या कहा
यहां चर्चा कर दें कि अधीर रंजन चौधरी ने बुधवार को एक निजी चैनल के कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू को ‘‘राष्ट्रपत्नी” कहकर संबोधित किया था. गुरुवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के पहले केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्र की पत्नी के रूप में संबोधित किया जाना भारत के हर मूल्य और संस्कार के विरुद्ध है. यह जानते हुए कि यह संबोधन उस सर्वोच्च संवैधानिक पद की गरिमा पर आघात करता है, तब भी कांग्रेस के एक पुरुष नेता ने यह घृणित कार्य किया है.