कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद और लोकसभा में पार्टी नेता अधीर रंजन चौधरी ने 13 निलंबित सांसदों के मुद्दे को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा है. चौधरी ने अपने पत्र के माध्यम से अध्यक्ष से एक बार फिर से इस मामले में विचार करने की मांग की है. उन्होंने सांसदों के निलंबन को वापस लेने की भी मांग की है.
अधीर रंजन चौधरी ने सांसदों के निलंबन को रद्द करने की मांग की
लोकसभा अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में कांग्रेस सांसद अधिर रंजन चौधरी कहा, जिन कारणों से हाल में 13 सदस्यों को निलंबित किया गया, मैं आग्रह करूंगा कि इस मामले को समग्र रूप से फिर से देखा जाए और निलंबन को रद्द करने और सदन में व्यवस्था बहाल करने के लिए उचित कार्रवाई की जाए.
Leader of the Congress Party in Lok Sabha Adhir Ranjan Chowdhury writes a letter to Lok Sabha Speaker.
"Considering the factors that led to the suspension of 13 members in recent days, I would urge that the matter be re-looked into holistically and appropriate action taken for… pic.twitter.com/M56FZlFCk9
— ANI (@ANI) December 17, 2023
संसद की सुरक्षा में चूक मामले पर हंगामा के बाद दोनों सदनों के 14 सांसदों को किया गया निलंबित
गौरतलब है कि संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे को लेकर विपक्षी सदस्यों ने गुरुवार को दोनों सदनों में जमकर हंगामा किया. इस दौरान अशोभनीय आचरण और आसन की अवमानना को लेकर विपक्षी दलों के कुल 14 सदस्यों को मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया. निलंबित किए गए सांसदों में लोकसभा के 13 सदस्य शामिल हैं. राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन को निलंबित किया गया है.
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लोकसभा से इन सांसदों को किया गया निलंबित
लोकसभा में कांग्रेस के वीके श्रीकंदन, बेनी बेहनन, मोहम्मद जावेद, मणिकम टैगोर, टी एन प्रतापन, हिबी इडेन, जोतिमणि, रम्या हरिदास और डीन कुरियाकोस, द्रमुक की कनिमोई, प्रतिबन, माकपा के एस वेंकटेशन और पी आर नटराजन तथा भाकपा के के सुब्बारायन का निलंबन हुआ है.
विपक्षी सांसदों को संसद से निलंबित करना लोकतंत्र का निलंबन : खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 14 सांसदों के निलंबन को लेकर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया था. उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, राष्ट्रीय सुरक्षा और हमारे लोकतंत्र के मंदिर संसद की सुरक्षा को खतरे में डालने के बाद भाजपा अब आवाज उठाने वालों पर ही वार कर रही है. विपक्षी सांसदों को संसद से निलंबित करना लोकतंत्र का निलंबन है. उन्होंने कहा, उनका अपराध क्या है? क्या केंद्रीय गृह मंत्री से सदन में बयान देने का आग्रह करना अपराध है? क्या सुरक्षा में सेंध लगने पर चर्चा करना अपराध है? क्या यह तानाशाही के उस पहलू को रेखांकित नहीं करता, जो वर्तमान व्यवस्था की पहचान बन गई है?