ADITYA-L1 Mission: आदित्य एल-1 मिशन की सफलता के पीछे महिला शक्ति, जानें वैज्ञानिकों के बारे में खास बातें
भारत के सूर्य मिशन के तहत इसरो के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से शनिवार को सूरज के अध्ययन के लिए रवाना हुआ 'आदित्य एल1' इस परियोजना की निदेशक तेन्काशी निवासी निगार साजी के नेतृत्व में कई लोगों के कड़े परिश्रम का नतीजा है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार 2 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से आदित्य एल1 का सुबह 11:50 बजे सफल प्रक्षेपण किया. पीएसएलवी रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग होने के साथ आदित्य मिशन सूर्य की ओर 125 दिन की अपनी यात्रा पर आगे बढ़ चुका है. इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष यान को सटीक कक्षा में स्थापित कर दिया गया है. चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इसरो के इस मिशन की सफलता से पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है. चंद्रयान-3 की सफलता में जिस तरह से कई वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत की, उसी तरह से आदित्य मिशन में देश के वैज्ञानिकों का हाथ रहा है. तो आइये उनके बारे में जानें कि वे कहां से हैं और उनकी शिक्षा कैसी रही है.
आदित्य मिशन में महिला शक्ति का हाथ, जानें कौन हैं प्रोजेक्ट डायरेक्टर निगार साजी
भारत के सूर्य मिशन के तहत इसरो के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से शनिवार को सूरज के अध्ययन के लिए रवाना हुआ ‘आदित्य एल1’ इस परियोजना की निदेशक तेन्काशी निवासी निगार साजी के नेतृत्व में कई लोगों के कड़े परिश्रम का नतीजा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सूत्रों ने बताया कि इसरो में गत 35 साल से सेवाएं दे रहीं शाजी ने भारतीय रिमोट सेंसिंग, संचार और अंतर ग्रहीय उपग्रह कार्यक्रम में विभिन्न जिम्मेदारियों का शानदार तरीके से निवर्हन किया है. शाजी मूल रूप से तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 55 किलोमीटर दूर स्थित तेन्काशी की रहने वाली हैं और वह मयिलसामी अन्नादुराई, एम वनिता और पी वीरुमुथुवेल जैसे शानदान वैज्ञानिकों की कतार में शामिल हैं जो तमिलनाडु से आते हैं और जिन्होंने भारत के तीन चंद्रयान मिशनों में उल्लेखनीय योगदान दिया है. शाजी 1987 में इसरो के उपग्रह केंद्र से जुड़ीं.
रिसोर्ससैट-2ए की एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी थीं निगार साजी
निगार साजी रिसोर्ससैट-2ए की एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी थीं, जो राष्ट्रीय संसाधन निगरानी और प्रबंधन के लिए भारतीय रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट है. उन्होंने इमेज कम्प्रेशन, सिस्टम इंजीनियरिंग समेत अन्य विषयों पर कई अनुसंधान पत्र लिखे हैं. उन्होंने मदुरै स्थित कामराज विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में बीई (बैचलर इन इंजीनियरिंग) की डिग्री हासिल की और बीआईटी, रांची से इलेक्ट्रॉनिक्स में स्नातकोत्तर किया. वह बेंगलुरु में इसरो के सैटेलाइट टेलीमेट्री सेंटर की प्रमुख भी रह चुकी हैं.
#WATCH | On the successful launch of Aditya L-1, Project Director of Aditya L-1, Nigar Shaji says, "This is like a dream come true. I am extremely happy that Aditya L-1 has been injected by PSLV. Aditya L-1 has started its 125 days of long journey. Once Aditya L-1 is… pic.twitter.com/zs1avDJ9ba
— ANI (@ANI) September 2, 2023
डॉ शंकरसुब्रमण्यम के भी हैं Aditya-L1 Mission में शामिल
आदित्य एल-1 मिशन की सफलता में एक और वैज्ञानिक का हाथ रहा है. जिनका नाम डॉ शंकरसुब्रमण्यम के हैं. इसरो ने उन्होंने इस मिशन के लिए मुख्य वैज्ञानिक के रूप में नियुक्त किया. बताया जाता है कि डॉ शंकरसुब्रमण्यम के एक अनुभवी वैज्ञानिक हैं जो यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) में सौर अध्ययन में विशेषज्ञता रखते हैं. बैंगलोर विश्वविद्यालय से उन्होंने फिजिक्स में पीएच डी की डिग्री हासिल की. उनका रिसर्च सोलर मैगनेटिक फील्ड, ऑप्टिक्स और इंस्ट्रुमेंटेशन जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित है.
बेंगलुरु द्वारा विकसित किया गया है आदित्य-एल1 मिशन का मुख्य पेलोड
इसरो के अनुसार, आदित्य-एल1 मिशन का मुख्य पेलोड (उपकरण) ‘विजिबल लाइन एमिशन कोरोनाग्राफ’ (वीईएलसी) है, जिसे भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बेंगलुरु द्वारा विकसित किया गया है. 26 जनवरी, 2023 को आयोजित एक समारोह में, पेलोड को इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ और शाजी की उपस्थिति में यू आर राव सैटेलाइट सेंटर को सौंपा गया था.
आदित्य-एल1 सूर्य के बाहरी वातावरण का करेगा अध्ययन
सूर्य गैस का एक विशाल गोला है और आदित्य-एल1 इसके बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा. इसरो ने कहा कि आदित्य-एल1 न तो सूर्य पर उतरेगा और न ही इसके करीब जाएगा.