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दो दिन बाद लॉन्च होगा आदित्य एल-1, इन मायनों में खास है मिशन, जानिए बजट से लेकर स्पेसक्राफ्ट की पूरी जानकारी

आदित्य एल-1 मिशन अपने साथ सात पेलोड को लेकर जा रहा है. इनमें से चार पेलोड लगातार सूर्य पर नजर रखेंगे जबकि तीन पेलोड परिस्थितियों के हिसाब से कणों और मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेंगे. इसरो का सूर्य मिशन आदित्य एल-1 है जो धरती से सूरज की तरफ 15 लाख किलोमीटर तक जाएगा और सूरज का अध्ययन करेगा.

Aditya L1 Mission: चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3 Mission) की सफलता के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो, ISRO) सूरत में झंडे गाड़ने को तैयार है. 2 सितंबर को इसरो का आदित्य एल 1 मिशन लॉन्च होने को तैयार है.इसरो के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि आदित्य एल -1 मिशन से अंतरिक्ष में मौसम की गतिशीलता, सूर्य के कोरोना के तापमान, सौर तूफान एवं उत्सर्जन एवं पराबैंगनी किरणों के धरती, खासकर ओजोन परत पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जा सकेगा. बता दें, इस अंतरिक्ष यान के जरिये  इसरो सौर कोरोना यानी सूर्य की सबसे बाहरी परतों के दूरस्थ अवलोकन और एल1 सूर्य-पृथ्वी लाग्रेंज पॉइंट पर सौर वायु की स्थिति का पता लगाएगा. मिशन को लेकर इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा है कि सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का यह पहला अंतरिक्ष मिशन है. आदित्य एल-1 श्रीहरिकोटा पहुंच गया है और लॉन्च होने के लिए पूरी तरह तैयार है.

पराबैंगनी किरणों का पहले इस तरह अध्ययन नहीं किया गया
इसरो की ओर से कहा गया है कि सूरज से काफी मात्रा में पराबैंगनी किरणें निकलती है, जिसका अध्ययन दुनिया के कई देशों के वैज्ञानिक लंबे समय से कर रहे हैं. इसी कड़ी में इसरो का आदित्य एल 1 मिशन इस टेलीस्कोप (एसयूआईटी) से 2000 से लेकर 4000 एंगस्ट्रॉम के तरंग दैर्ध्य की पराबैंगनी किरणों का अध्ययन करेगा. इसरो का कहना है कि इससे पहले दुनिया में इस स्तर की पराबैंगनी किरणों का अध्ययन नहीं किया गया है. आदित्य-एल1 मिशन का लक्ष्य एल1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है.

सूरज की तरफ 15 लाख किलोमीटर तक जायेगा
आईयूसीएए के वैज्ञानिक एवं एसयूआईटी के मुख्य अन्वेषक प्रो दुर्गेश त्रिपाठी का कहना है कि इसरो का सूर्य मिशन आदित्य एल-1 है जो धरती से सूरज की तरफ 15 लाख किलोमीटर तक जाएगा और सूरज का अध्ययन करेगा. इसी कड़ी में उन्होंने कहा कि आदित्य एल1 मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) को पुणे स्थित इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए) ने तैयार किया है. आदित्य एल-1 मिशन अपने साथ सात पेलोड लेकर जा रहा है. जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपरी सतह) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अवलोकन करने में मदद करेंगे.

चार पेलोड लगातार सूर्य पर रखेंगे नजर
आदित्य एल-1  मिशन अपने साथ सात पेलोड को लेकर जा रहा है. इनमें से चार पेलोड लगातार सूर्य पर नजर रखेंगे जबकि तीन पेलोड परिस्थितियों के हिसाब से कणों और मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेंगे. प्रो दुर्गेश त्रिपाठी ने कहा कि सूरज की ऊपरी सतह पर कुछ विस्फोट होते रहते हैं लेकिन यह कब होंगे और इसके प्रभाव क्या होंगे, इसकी सटीक जानकारी नहीं है. ऐसे में इस टेलीस्कोप का एक उद्देश्य इनका अध्ययन करना भी है. ताकी सूरज के रहस्यों का और अच्छे तरह से उजागर हो सके.

गौरतलब है कि सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन आदित्य एल-1 श्रीहरिकोटा से लॉन्च होने को तैयार है. इसरो के मुताबिक, 2 सितंबर को इसे लॉन्च किया जा सकता है. इस अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (L1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है. बता दें, यह धरती से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है. आदित्य-एल1 को लैग्रेंज बिंदु 1 के चारों ओर स्थापित करने से उपग्रह बिना किसी रुकावट या ग्रहण के लगातार सूर्य का अध्ययन कर सकता है.

क्या है लैग्रेंज पॉइंट-1
अंतरिक्ष में लैग्रेंज बिंदु दो विशाल परिक्रमा करने वाले पिंडों के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के तहत छोटे द्रव्यमान वाली वस्तुओं के लिए संतुलन पॉइंट होता हैं. आम तौर पर इस पॉइंट पर दो विशाल पिंड एक बिंदु पर असंतुलित गुरुत्वाकर्षण बल लगाते हैं, जिससे उस बिंदु पर जो कुछ भी होता है उसकी कक्षा बदल जाती है. लैग्रेंज प्वाइंट 1 को एल1 भी कहा जाता है. धरती और और सूर्य के संबंध में यह वह बिंदु है जहां धरती और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल एक-दूसरे को प्रभावित करता है. ऐसे में आदित्य-एल1 मिशन का उद्देश्य एल1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है, विभिन्न तरंग बैंडों में प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का निरीक्षण करना है. आदित्य एल-1 अध्ययन के लिए अपने साथ  सात पेलोड ले जा रहा है.

एल-1 पॉइंट पर स्थिर रहती है कोई वस्तु
धरती और सूर्य प्रणाली का लैग्रेंज पॉइंट 1 (L1) सूर्य की दिशा में पृथ्वी से करीब 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है. यह बिंदु दो पिंडों को जोड़ने वाली रेखा पर है. इसके अलावा सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के कक्षीय पथ में यह स्थित है. वैज्ञानिकों के लिए दिलचस्पी की बात यह है कि L1 पॉइंट पर रखी कोई भी वस्तु पृथ्वी-सूर्य प्रणाली के संबंध में अपेक्षाकृत स्थिर रहेगी. वस्तु की यह स्थिरता गुरुत्वाकर्षण बलों के संपर्क के कारण होता है. इस कारण हमेशा से इस स्थिति का अवलोकन करने की वैज्ञानिकों में जिज्ञासा रही है.

  • आदित्य-एल 1 अंतरिक्ष यान सूरज का अध्ययन करने के लिए तैयार किया गया है.

  • इसरो दो सितंबर को इसे लॉन्च कर सकता है, यह इसरो का महत्वाकांक्षी मिशन है.

  • यह सूरज की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अध्ययन करेगा

  • इसके अलावा आदित्य एल-1 मिशन सूरज और पृथ्वी के लाग्रेंज पॉइंट की भी स्टडी करेगा

  • आदित्य-एल 1 अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना के दूरस्थ अवलोकन और एल1 पर सौर हवा के यथास्थिति अवलोकन के लिए बनाया गया है.

  • आदित्य- एल1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है.

  • आदित्य-एल1 मिशन का लक्ष्य एल1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है.

  • यह अंतरिक्ष यान सात पेलोड लेकर जाएगा जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर , क्रोमोस्फेयर और कोरोना का निरीक्षण करने में मदद करेंगे.

किस रॉकेट से यात्रा करेगा आदित्य-एल1
आदित्य-एल1 मिशन को इसरो अपने पीएसएलवी एक्सएल (PSLV-XL) रॉकेट में लॉन्च कर रहा है. यह सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र एसएचएआर श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा. पहले चरण में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की लोअर आर्बिट में रखा जाएगा इसके बाद, चंद्रयान-3 की तर्ज पर कई राउंड में पृथ्वी की कक्षा से बाहर ले जाया जाएगा. उसके बाद आदित्य एल-1 को ऑनबोर्ड इग्नीशन का इस्तेमाल कर लैग्रेंज पॉइंट की ओर प्रक्षेपित कर दिया जाएगा.

कितनी लागत का है आदित्य एल1 मिशन
इसरो का आदित्य एल 1 मिशन पर 400 करोड़ रुपये खर्च किया गया है. इसकी तैयारी इसरो के वैज्ञानिक साल 2019 से ही कर रहे हैं. आदित्य-एल1 मिशन का लक्ष्य एल1 के पास की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है. सबसे बड़ी बात की इस मिशन में यान सात पेलोड लेकर जाएगा, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपरी सतह) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) पर रिसर्च करने में सूर्य की मदद करेंगे.

क्या अध्ययन करेगा आदित्य एल-1
इसरो 2 सितंबर को आदित्य-एल1 को सौर मिशन पर भेजने की पूरी तैयारी कर चुका है. यह सौर कोरोना के दूरस्थ अवलोकन और लैग्रेंज पॉइंट पर सौर वायु का अवलोकन करेगा. बता दें, एल1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है. यह एल1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करेगा. यह अंतरिक्ष यान अपने साथ सात पेलोड ले जा रहा है. जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर , क्रोमोस्फेयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अध्ययन करेगा. इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि आदित्य-एल1 पूरी तरह से स्वदेशी प्रयास है, जिसमें राष्ट्रीय संस्थानों की भागीदारी है. आदित्य-एल1, अल्ट्रावायलेट पेलोड का उपयोग करके सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) और एक्स-रे पेलोड का उपयोग कर सौर क्रोमोस्फेयर परतों का अवलोकन कर सकता है.

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