Aditya L-1: अंतरिक्ष में भारत का धमाका, अब ISRO बता पाएगा क्यों इतना गर्म है सूरज
Aditya L-1: नये साल में ISRO ने इतिहास रच दिया है. भारत का आदित्य (Aditya) सैटेलाइट सूर्य के L1 पॉइंट पर पहुंच गया है. बीते साल 2 सितंबर को भारत की जमीन से सूर्य के एल 1 पॉइंट पर पहुंचने का मिशन कामयाब हो गया.
नये साल में ISRO ने इतिहास रच दिया है. भारत का आदित्य (Aditya) यान सूर्य के L1 पॉइंट पर पहुंच गया है. बीते साल 2 सितंबर को भारत की जमीन से सूर्य के एल 1 पॉइंट पर पहुंचने का मिशन कामयाब हो गया है. आदित्य एल1 यान आज यानी शनिवार को पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर कक्षा में स्थापित हो गया है. एल1 प्वाइंट के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में उपग्रह से सूर्य को निरंतर देखा जा सकता है. इससे सौर गतिविधियों के साथ-साथ अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अध्ययन करने में अधिक लाभ मिलेगा.
हम बहुत खुश हैं- एस सोमनाथ
इसरो के सौर मिशन आदित्य-एल1 के हेलो ऑर्बिट में प्रवेश करने पर इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा है कि इसलिए यह हमारे लिए बहुत संतोषजनक है क्योंकि यह एक लंबी यात्रा का अंत है. प्रक्षेपण से अब तक 126 दिन बाद, यह अंतिम बिंदु पर पहुंच गया है. इसलिए अंतिम बिंदु तक पहुंचना हमेशा एक चिंताजनक क्षण होता है, लेकिन हम इसके बारे में बहुत आश्वस्त थे. इसलिए जैसा अनुमान लगाया गया था वैसा ही हुआ. हम बहुत खुश हैं.
#WATCH | On ISRO's Solar Mission Aditya-L1 entering Halo Orbit, ISRO Chairman S Somanath says, "So it is very satisfying for us because it is the end of a long journey. 126 days from lift-off to now, it has reached the final point. So reaching the final point is always, an… pic.twitter.com/JsscqRAO9E
— ANI (@ANI) January 6, 2024
पीएम मोदी ने दी बधाई
आदित्य एल-1 मिशन की कामयाबी की पीएम मोदी ने भी इसरो को बधाई दी है. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि भारत ने एक और उपलब्धि हासिल कर ली है. भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य पर पहुंच गई है. यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं. हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे.
India creates yet another landmark. India’s first solar observatory Aditya-L1 reaches it’s destination. It is a testament to the relentless dedication of our scientists in realising among the most complex and intricate space missions. I join the nation in applauding this…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 6, 2024
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया है कि, मून वॉक से लेकर सन डांस तक! भारत के लिए यह साल कितना शानदार रहा! उन्होंने लिखा कि पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में लिखी गई एक और सफलता की यह कहानी है. उन्होंने कहा कि आदित्य एल-1 सूर्य-पृथ्वी कनेक्शन के रहस्यों की खोज के लिए अपनी अंतिम कक्षा में पहुंच गया है.
From Moon walk to Sun Dance! What a glorious turn of year for Bharat!
Under the visionary leadership of PM @narendramodi, yet another success story scripted by Team #ISRO. #AdityaL1 reaches its final orbit to discover the mysteries of Sun-Earth connection.— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) January 6, 2024
क्या है लैग्रेंज प्वाइंट 1
अंतरिक्ष यान ‘आदित्य’ धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी के बीच स्थित लैग्रेंज प्वाइंट 1 (L-1) के पास अपनी तय कक्ष में पहुंच गया है. बता दें, एल1 प्वाइंट पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक फीसदी है. इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि एल1 प्वाइंट के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में इस उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है. गौरतलब है कि लैग्रेंज प्वाइंट वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाता है. प्रभामंडल कक्षा, एल 1 , एल 2 या एल 3 लैग्रेंज प्वाइंट में से एक के पास एक आवधिक एक थ्री डायमेंशनल कक्षा है.
‘आदित्य’ ने कब भरी थी उड़ान
बीते साल सितंबर के महीने में इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी57) ने दो सितंबर को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे प्रक्षेपण केंद्र से आदित्य-एल1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था. पीएसएलवी ने 63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान के बाद उसने पृथ्वी की आसपास की अंडाकार कक्षा में आदित्य-एल1 को स्थापित किया था.
आदित्य एल1 इसरो के वैज्ञानिकों ने धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर एल1 पर सौर वायु का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है. मिशन का उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या कोरोनल मास इजेक्शन, सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं के साथ-साथ पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है.भाषा इनपुट से साभार