16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर कर सकते हैं प्रशांत भूषण

अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सोमवार को कहा कि वह अवमानना मामले में उच्चतम न्यायालय की तरफ से लगाया गया एक रुपये का सांकेतिक जुर्माना भरेंगे लेकिन यह भी कहा कि वह आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर कर सकते हैं . भूषण पर अवमानना का मामला न्यायपालिका के खिलाफ उनके ट्वीट को लेकर चल रहा था. उन्होंने कहा कि वह न्यायपालिका का बहुत सम्मान करते हैं और उनके ट्वीट शीर्ष अदालत या न्यायपालिका का अपमान करने के लिए नहीं थे.

नयी दिल्ली : अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सोमवार को कहा कि वह अवमानना मामले में उच्चतम न्यायालय की तरफ से लगाया गया एक रुपये का सांकेतिक जुर्माना भरेंगे लेकिन यह भी कहा कि वह आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर कर सकते हैं . भूषण पर अवमानना का मामला न्यायपालिका के खिलाफ उनके ट्वीट को लेकर चल रहा था. उन्होंने कहा कि वह न्यायपालिका का बहुत सम्मान करते हैं और उनके ट्वीट शीर्ष अदालत या न्यायपालिका का अपमान करने के लिए नहीं थे.

शीर्ष अदालत द्वारा जुर्माना लगाए जाने के कुछ घंटों बाद उन्होंने कहा, “दोषी ठहराए जाने और सजा के खिलाफ उचित कानूनी उपाय के जरिये पुनर्विचार याचिका का मेरा अधिकार जहां सुरक्षित है, वहीं मैं इस आदेश को उसी तरह स्वीकार करता हूं जैसा मैं किसी दूसरी कानूनी सजा को स्वीकार करता और मैं सम्मानपूर्वक जुर्माना अदा करूंगा .” भूषण ने यहां सीजेएआर (कैम्पेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स) और स्वराज अभियान द्वारा आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “उच्चतम न्यायालय के लिये मेरे मन में बेहद सम्मान है.

मैं हमेशा मानता हूं कि यह उम्मीद का अंतिम ठिकाना है, खास तौर पर गरीबों और वंचितों के लिये जो अक्सर शक्तिशाली कार्यकारियों के खिलाफ अपने अधिकारों की रक्षा के लिए उसका दरवाजा खटखटाते हैं.” उन्होंने कहा कि ट्वीट किसी भी तरह उच्चतम न्यायालय या न्यायपालिका के प्रति असम्मान के उद्देश्य से नहीं किये गए थे बल्कि उनके द्वारा महसूस की जा रही वेदना को व्यक्त करने के लिये थे, “जो उनके पिछले पुख्ता रिकॉर्ड से विचलन था. यह मामला कभी भी मेरे बनाम न्यायाधीशों के बारे में नहीं था. और मेरे बनाम उच्चतम न्यायालय से बहुत कम था.”

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को भूषण से कहा कि वह 15 सितंबर तक जुर्माने की रकम अदा करें और ऐसा नहीं करने पर उन्हें तीन महीने कैद या तीन साल के लिये वकालत करने से रोका जा सकता है. इस महीने अवमानना के लिये उन्हें दोषी ठहराने वाली पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई और नयायमूर्ति कृष्ण मुरारी भी शामिल हैं. न्यायालय ने कहा कि बोलने की आजादी को बाधित नहीं किया जा सकता लेकिन दूसरों के अधिकारों का सम्मान भी किये जाने की जरूरत है.

भूषण ने कहा, “देश का उच्चतम न्यायालय जब जीतता है तो भारत का प्रत्येक नागरिक जीतता है. हर भारतीय एक मजबूत और स्वतंत्र न्यायपालिका चाहता है. स्वभाविक है कि अगर अदालतें कमजोर होंगी तो इससे गणतंत्र कमजोर होगा और प्रत्येक नागरिक को नुकसान पहुंचेगा.” उन्होंने कहा, “मैं उन तमाम लोगों, पूर्व न्यायाधीशों, वकीलों, कार्यकर्ताओं और साथी नागरिकों का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने दृढ़ रहने और अपने विश्वास और जमीर पर टिके रहने के लिये मेरा हौसला बढ़ाया.” उन्होंने कहा कि इन लोगों ने उनके इस विश्वास को शक्ति दी कि यह मुकदमा देश का ध्यान बोलने की आजादी और न्यायिक जवाबदेही और सुधार के प्रति आकर्षित कर सकता है.

उन्होंने कहा, “मेरा विश्वास अब इस बात को लेकर पहले से कहीं ज्यादा है कि सत्य की जीत होगी. लोकतंत्र जिंदाबाद. सत्यमेव जयते.” उच्चतम न्यायालय ने 14 अगस्त को भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ उनके दो ट्वीटों के लिये आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था.

Posted By – Pankaj Kumar Pathak

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें