African Swine Fever: भारत के कई राज्यों में अफ्रीकी स्वाइन फीवर (ASF) का पता चला है. जिसके बाद कई इलाकों में सुअरों को मारने के आदेश भी जारी किए गए है. कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने इस खतरे को लेकर केरल को सभी तरह की सावधानियां बरतने के लिए आगाह किया था. अब मिजोरम और झारखंड में भी अफ्रीकी स्वाइन फीवर के जंगली जानवरों में फैलने की बात सामने आ रही है.
झारखंड के रांची जिले में 27 जुलाई से संदिग्ध अफ्रीकी स्वाइन फीवर के चलते 100 से अधिक सूअरों की मौत के बाद पशुपालन विभाग ने अलर्ट जारी कर एहतियाती कदम उठाने को कहा है. न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि वास्तविक बीमारी के बारे में पता लगाने के लिए प्रभावित सूअरों के नमूने भोपाल के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान और कोलकाता में क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला भेजे गए हैं. झारखंड के सभी जिलों को एहतियाती कदम उठाने और इस तरह की घटना के मामले में कोविड-19 जैसे प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए परामर्श जारी किया गया है. साथ ही विभाग ने स्वाइन फीवर टीकाकरण अभियान भी शुरू किया है.
वहीं, मिजोरम में भी जंगली सुअरों में अफ्रीकी स्वाइन फीवर के फैलने की बात सामने आ रही है. पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ लालमिंगथांगा ने पीटीआई-भाषा को बताया कि चंफाई जिले के दो वन क्षेत्रों में पाए गए जंगली सूअर के शवों से लिये गए नमूने भोपाल में राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान भेजे गए थे. पुष्टि हुई है कि ये सूअर एएसएफ से मारे गए हैं. इससे पहले, पूर्वोत्तर राज्य में केवल खेतों और घरों से ही एएसएफ की सूचना मिली थी. राज्य के पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग द्वारा बृहस्पतिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल फरवरी से अब तक एएसएफ के प्रकोप के कारण कुल 9,891 सूअर की मौत हो चुकी है.
पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ लालमिंगथांगा ने कहा कि मिजोरम सरकार ने इस बीमारी के खिलाफ वियतनाम से टीके आयात करने का अनुरोध करने के लिए केंद्र को पत्र लिखने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सुअरों की इस बीमारी के प्रकोप को रोकने के लिए टीकाकरण ही एकमात्र विकल्प बचा है. पलालमिंगथांगा ने कहा कि अब यह माना जाता है कि राष्ट्रीय कार्य योजना के अनुसार, मौजूदा रोकथाम उपायों के माध्यम से बीमारी का उन्मूलन नहीं किया जा सकता है, क्योंकि अब प्रकोप को महामारी माना जा रहा है. उन्होंने कहा कि अभी इस प्रकोप को रोकने के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है. अधिकारी ने कहा कि एएसएफ के खिलाफ वियतनाम में टीके उपलब्ध हैं, लेकिन उन्हें आयात करने के लिए केंद्र की मंजूरी की जरूरत है. राज्य सरकार अगले सप्ताह केंद्र को पत्र लिखकर जंगली सूअर में एएसएफ का पता लगाने के बारे में सूचित करेगी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से वियतनाम से टीके उपलब्ध कराने का भी अनुरोध किया जाएगा.
अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक अफ्रीकी स्वाइन फीवर (AFS) बहुत ही ज्यादा संक्रामक और घातक बीमारी है, जो फार्म में विकसित होने वाले और जंगली सुअरों दोनों को ही संक्रमित कर सकता है. अफ्रीकी स्वाइन फीवर में मृत्यु दर 100 फीसदी तक हो सकती है. अफ्रीकी स्वाइन वायरस एक संक्रमित सुअर से दूसरे सुअरों के सीधे संपर्क में शारीरिक द्रव के जरिए तेजी से फैल सकता है.
बताया जा रहा है कि इंसानों का बर्ताव इस वायरस के फैलने में अहम रोल अदा कर सकता है और यदि जरूरी एहतियाती कदम नहीं उठाए गए, तो यह जल्द ही बड़े क्षेत्रीय दायरे में संक्रमण को पहुंचा सकता है. हाल के वर्षों में अफ्रीकी स्वाइन फीवर ने पोर्क उद्योग को काफी तबाह किया है, क्योंकि इससे सुअरों की बड़ी आबादी का सफाया हो जाता है.