AFSPA act: नगालैंड (Nagaland) में विवादास्पद कानून सशस्त्र बल(विशेष) अधिकार अधिनियम, AFSPA को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है. इस कानून के जरिए सेना को किसी राज्य के अशांत इलाके में कहीं भी स्वतंत्र तरीके से कार्रवाई करने का व्यापक अधिकार मिलता है. दरअसल जिन इलाकों में AFSPA लागू होता है, वहां कोई भी भारतीय सेना के जवान को केंद्र की मर्जी के बिना परेशान या हटा नहीं सकता है. बता दें कि यह कानून उन क्षेत्रों में लागू होती है जहां पुलिस या अर्द्धसैनिक बल उग्रवाद, आतंकवाद या अन्य किसी बाहरी शक्ति से लड़ने में सेना नाकाम साबित होती है.
आपको बता दें कि नगालैंड के अधिकार समूह के अलावा राज्य सरकार ने कई बार AFSPA को वापस लेने की मांग कर चुकी है. नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफिउ रेयो ने 4 दिसंबर को नगालैंड के मौन जिले में हुई घटना के बाद कहा था कि इसमें AFSPA का दुरुपयोग किया गया था जो मानवाधिकारों का हनन है दशकों से नागा लोग इसका विरोध करते आ रहे हैं. वहीं, 20 दिसंबर को नागालैंड विधानसभा ने सर्वसम्मति से पूर्वोत्तर, विशेष रूप से नगालैंड से AFSPA को रद्द करने की मांग का संकल्प लिया था. इसे लेकर दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुख्यमंत्री रियो ने बैठक की थी. बैठक के बाद उन्होंने बताया था कि कि विवादास्पद कानून को वापस लेने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा.
क्या है AFSPA: AFSPA कानून के जरिए सैनिकों को कई विशेषाधिकार दिए जाते हैं. इसमें किसी को बिना वॉरेंट के गिरफ्तार करना, संदिग्ध के घर में घुसकर जांच करना, पहली चेतावनी के बाद भी अगर संदिग्ध नहीं माने तो उसपर गोली चलाने का भी अधिकार सेना के पास होगा. गोली चलाने के लिए किसी के आदेश का इतंजार नहीं करना होगा. अगर उस गोली से किसी की मौत होती भी है तो भी सेना के जवान पर हत्या का मुकदमा नहीं चलेगा. अगर राज्य सरकार एफआईआर दर्ज करती है तो कोर्ट में उसकी सुनवाई के लिए केंद्र सरकार की इजाजत लेनी होती है.
अभी किन किन जगहों पर लागू है AFSPA: बता दें कि AFSPA को पूर्वोत्तर के कई राज्यों समेत पंजाब, चडीगढ़ और जम्मू कश्मीर में लागू किया जा चुका है. पूर्वोत्तर में असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड में इसे लागू किया गया था लेकिन अब कई क्षेत्रों से इसे हटा दिया गया है. फिलहाल ये कानू जम्मू-कश्मीर, नगालैंड, मणिपुर( राजधानी इम्फाल के 7 क्षेत्रों को छोड़कर) असम, और अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में लागू किया गया है.