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80 साल में पहली बार दलितों ने मंदिर में किया प्रवेश, जानें इस गांव में क्यों हुआ ऐसा

करीब 80 साल तक दलित गांव के मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाये. पुलिस अधिकारियों सहित जिले के अधिकारियों ने मिलकर हमें पूजा करने की नयी आजादी दी है. जानें क्या है पूरा मामला

तमिलनाडु के तिरुवन्नमलई जिले के एक गांव से एक ऐसी खबर सामने आयी है जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है. दरअसल यहां करीब 70 साल में पहली बार दलितों ने सोमवार को अपने गांव के मंदिर में पूजा-अर्चना की और भगवान को पुष्प अर्पित किये. आपको बता दें कि इससे पहले जिला प्रशासन ने “प्रभावशाली जातियों” के साथ “शांति वार्ता” करायी थी.

खबरों की मानें तो कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच तथा शीर्ष जिला और पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में, अनुसूचित जाति से संबंधित ग्रामीणों ने पूजा की माला, फूल और अन्य प्रसाद के साथ मंदिर परिसर में प्रवेश किया. उन्होंने मंत्रोच्चारण के साथ देवता की जय-जयकार की और पूजा की। यह उत्तरी तिरुवन्नमलई जिले में थंनद्रमपत्तू तालुक का थेनमुदियानूर गांव है और पूजा का स्थान मुथुमरियाम्मन मंदिर है.

दलित जा रहे हैं गांव के मंदिर में

अधिकारियों ने विशेष रूप से यह उल्लेख नहीं किया कि यह पहली बार है कि दलित गांव के मंदिर में जा रहे हैं लेकिन अनुसूचित जाति के लोगों ने कहा कि वे पहली बार मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर 80 साल पुराना है. सरकार ने कहा कि यह 70 साल पुराना है.

करीब 80 साल तक दलित गांव के मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाये

दलित निवासी सी मुरुगन ने इस बाबत मीडिया से बात की और कहा कि करीब 80 साल तक दलित गांव के मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाये. पुलिस अधिकारियों सहित जिले के अधिकारियों ने मिलकर हमें पूजा करने की नयी आजादी दी है. जिला कलेक्टर बी मुरुगेश ने कहा कि मंदिर 70 साल पुराना है और हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग से संबंधित है. उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के तहत सभी समान हैं. किसी भी मामले में भेदभाव नहीं होना चाहिए.

मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया

मुरुगेश ने कहा कि दलितों के प्रवेश का विरोध करने वालों को यह बता दिया गया था और शांति वार्ता जिला अधिकारियों द्वारा शुरू की गयी थी जिसमें पुलिस और राजस्व अधिकारी शामिल थे. उनके मुताबिक, आखिरकार, इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया और दलितों ने मंदिर में पूजा की.

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