कोरोना संक्रमण को मात दे चुके लोगों के लिए खतरा कम नहीं हुआ है. दिल्ली में कई ऐसे मामले सामने आ रहे है जिससे यह पता चलता है कि कोरोना के बाद भी कई तरह की बीमारियों का खतरा इनके लिए बढ़ा है.
दिल्ली के प्रमुख निजी अस्पताल में कोरोना को मात दे चुके लोग ब्रेन हैमरेज सहित न्यूरोलॉजिकल मुद्दों को लकेर ज्यादा परेशान रहे हैं. पीटीआई के अनुसार दिल्ली के मूलचंद अस्पताल में इंट्रासेरेब्रल (ब्रेन हैमरेज) के मामले बढ़ रहे हैं न्यूरोसाइंस विभाग का 50 प्रतिशत ऐसे मामलों से भरा हुआ है.
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इन बढ़ते मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए न्यूरोसर्जन डॉ आशा बख्शी ने बताया है कि जो लोग इस बीमारी के जद में आ रहे हैं उनमें से ज्यादातर लोग कोरोना संक्रमण का शिकार रहे हैं. ऐसे 37 प्रतिशत रोगियों ने लक्षणों की सूचना दी है इनमें सिरदर्द, स्वाद का जाना जैसे लक्षण शामिल है. इन बढ़ते मामलों पर डॉ बख्शी ने बताया कि यह बढ़ा है क्योंकि फेफड़ों से जुड़ी तीव्र सूजन के मामले सामने आ रहे हैं .
मूलचंद अस्पताल ने जारी किये गये बयान में इस संबंध में जानकारी दी है जिसमें 60 प्रतिशत तक रोगियों ने चिंता, अवसाद, आत्महत्या के विचार, अकेलेपन की भावना जैसे मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों में वृद्धि के बारे में शिकायत की है. इसमें भी ज्यादातर कोरोना के शिकार मरीजों की संख्या है.
डॉक्टरों ने बताया कि जिन्होंने कोरोना संक्रमण को मात दी है उन्हें एक सप्ताह के बाद ही सिरदर्द, चक्कर आना, थकान, मेमोरी कमजोर होना, चिंता, अवसाद, स्ट्रोक, दर्द और नींद ना आने की परेशानियां सामने आ रही है. कई तरह के शोध से यह पता चला है कि यह सिर्फ दिल्ली में नहीं देश और दुनिया के कई जगहों में यह हालात हैं. इस मामले पर कोरोना के बाद हुए शोध में पता चला कि 46 प्रतिशत को चिंता थी, 22 प्रतिशत को किसी न किसी रूप में अवसाद था और पांच प्रतिशत में आत्मघाती विचार थे.
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दिल्ली में एक दूसरे अस्पताल ने भी बताया है कि कोरोना से उबरने के बाद न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के 15-20 मामले उनके सामने आये हैं. आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के एक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ मधुकर भारद्वाज ने पीटीआई के हवाले से बताया है कि सबसे आम स्थिति जो हमने देखी है, वह है मायोपैथी, माइग्रेन का सिरदर्द और एन्सेफैलोपैथी. दुर्लभ स्थितियों में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम जैसी बीमारी शामिल है.