दिल्ली के बाद अब पश्चिम बंगाल में दिखेगा प्रदूषण का असर, खुली हवा में सांस लेना होगा असुरक्षित : रिपोर्ट
दिल्ली 556 एक्यूआई के साथ इस सूची में शीर्ष पर है. वहीं 177 एक्यूआई वाला कोलकाता चौथी पायदान तथा 169 एक्यूआई वाला मुंबई इस फेहरिस्त में छठे स्थान पर है.
दिल्ली के बाद अब पश्चिम बंगाल भी धीरे-धीरे वायु प्रदूषण की चपेट में आ रहा है. स्विट्जरलैंड के क्लाइमेट ग्रुप आईक्यू एयर द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली, कोलकाता और मुंबई दुनिया के शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं.
दिल्ली 556 एक्यूआई के साथ इस सूची में शीर्ष पर है. वहीं 177 एक्यूआई वाला कोलकाता चौथी पायदान तथा 169 एक्यूआई वाला मुंबई इस फेहरिस्त में छठे स्थान पर है. वाहनों से निकलने वाला धुआं, उद्योगों द्वारा उत्सर्जित प्रदूषणकारी तत्व, धूल जैसे अनेक कारक मिलकर इन शहरों की आबोहवा को बदतर बना रहे हैं.
इंसान की नुकसानदेह गतिविधियों की वजह से प्रदूषण का स्तर पहले ही सुरक्षित सीमा से काफी ज्यादा हो चुका हैं, लेकिन मौसम की प्रतिकूल तर्ज और मौसम विज्ञान संबंधी कारकों की वजह से इनमें और भी ज्यादा इजाफा हो रहा है.
मौसम विज्ञानियों के अनुसार आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल के ऊपर एक एंटीसाइक्लोन विकसित होने की संभावना है, जिसकी वजह से निकट भविष्य में प्रदूषण का स्तर और ज्यादा बढ़ जायेगा.
मौसम विज्ञान के हिसाब से एंटी साइक्लोनिक सरकुलेशन ऊपरी स्तरों में एक वातावरणीय वायु प्रवाह है जो किसी उच्च दबाव वाले विक्षोभ से जुड़ा होता है. जब भी ऐसा विक्षोभ बनता है तो हवा उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी के हिसाब से बहती है और दक्षिणी गोलार्ध में उसके उलट बहती है. यह विक्षोभ प्रदूषणकारी तत्वों को उठने और नष्ट नहीं होने देता.
स्काईमेट वेदर में मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने कहा है कि एक एंटीसाइक्लोन इस वक्त पूर्वी मध्य प्रदेश और उससे सटे छत्तीसगढ़ के ऊपर दिखाई दे रहा है, जिसके पूरब की तरफ बढ़ने की संभावना है और 20 नवंबर तक यह उड़ीसा पश्चिम बंगाल के गांगीय इलाकों और उससे सटे झारखंड में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है.
जब कभी एंटीसाइक्लोन बनता है तो हवा नीचे की तरफ नहीं आती, जिससे प्रदूषणकारी तत्व वातावरण में ऊपर नहीं उठते. इसके परिणामस्वरूप स्थानीय प्रदूषणकारी तत्वों के साथ उत्तर-पश्चिमी मैदानों से उत्तर-पश्चिमी हवा के साथ आने वाले प्रदूषण कारी तत्व जमीन की सतह पर फंसे रह जाते हैं जिसकी वजह से हम प्रदूषण के स्तरों में बहुत तेजी से बढ़ोत्तरी देख सकते हैं. पश्चिम बंगाल में मौसम की यह स्थिति अगले तीन-चार दिनों तक बने रहने की संभावना है. नतीजा होगा प्रदूषण और बढ़ेगा.
इसी तरह की मौसमी स्थितियां वर्ष 2018 में कोलकाता तथा उसके आसपास के इलाकों में पैदा हुई थी. विभिन्न समाचार रिपोर्टों के मुताबिक वर्ष 2018 के नवंबर और दिसंबर के एक पखवाड़े से ज्यादा वक्त तक कोलकाता की हवा दिल्ली के मुकाबले ज्यादा खराब रही थी.
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पूर्वी सिंधु-गंगा के मैदानों पर शीतकालीन प्रदूषण नामक एक शोध पत्र के अनुसार, सर्दियों के महीनों में ये मैदान अक्सर घने कोहरे और धुंध से घिरे रहते हैं. कम ऊंचाई (सतह से∼850 hPa) पर चल रही हवाएं उत्तर से उत्तर-पश्चिम की तरफ होती हैं और इनकी गति कम (<5 ms−1) होती है. वहीं, सिंधु गंगा के मैदानों के पूर्वी हिस्से, सर्दियों में मजबूत घटाव के स्थानीयकृत क्षेत्र से प्रभावित होते हैं. इन स्थितियों से प्रदूषण कम ऊंचाई पर ही अटक जाता है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक पश्चिम बंगाल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के उत्तर पश्चिमी मैदानों के पूर्वी हिस्से में स्थित होने का खामियाजा भुगत रहा है. इस क्षेत्र में खासकर सर्दियों के मौसम में हवा की खराब होती गुणवत्ता चिंता का एक बड़ा कारण है क्योंकि यह प्रदूषणकारी तत्व अपने स्रोत क्षेत्रों से इंडोर हिमालयन रेंज, बंगाल की खाड़ी तथा अन्य दूरस्थ क्षेत्रों में लंबी दूरी तय करते हैं. इस दौरान वे अपनी पुरानी वातावरणीय स्थितियों को प्रदूषित करते हैं.