देश में कोरोना संक्रमण से हो रही मौत का आंकड़ा कम नहीं हो रहा है. आंकड़ा कम नहीं हो रहा है तो जाहिर है कि अंतिम संस्कार में भी लोगों परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. गंगा के बाद अब यमुना में भी बहते शव मिल रहे हैं.
वाराणसी, चंदौली सहित कई जगहों पर बहते शव नजर आ रहे हैं. गंगा के साथ अब यमुना में भी शव मिलने लगे हैं. कई घाटों में अधजले शव मिले हैं जिससे यह पता चलता है कि लोग अधजले शव को भी गंगा में बहा रहे हैं. औरैया में शेरगढ़ घाट पर पंडित ने बताया कि हमारे मना करने के बाद भी लोग शवों को पानी में बहा रहे हैं.
प्रशासन इन मामलों में सख्ती कर रहा है, कड़ी नजर रखी जा रही है लेकिन इसके बावजूद भी गंगा और यमुना में शवों को बहाने का सिलसिला कम नहीं नहीं हो रहा. कई जगहों पर गंगा के किनारे रेत में भी लोग शव दफना कर जा रहे हैं.
इस तरह शव को अधजला छोड़कर या सीधे गंगा या यमूना में बहाने के पीछे संक्रमण काल में लोगों की तंगी को बताया जा रहा है. एक वेबसाइट में छपी खबर के अनुसार आर्थिक तंगी से लड़ रहे लोगों के पास इतने पैसे नहीं है कि वो ठीक तरीके से अपनों का अंतिम संस्कार कर सकें, लकड़िया मंगही हो गयी है, ऐसे में शव को नदी में बहाने या रेत में दफनाकर चले जाने के अलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है. दाह संस्कार के लिए घाट में जगह की कमी है, अगर संभव हो भी रहा है तो खूब पैसे मांगे जा रहे हैं.
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हैरान करने वाली बात है कि इन इलाकों में रहने वाले कुत्ते भी शवों को क्षतविक्षत कर रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में हो रही मौत का आंकड़ा ज्यादा बताया जा रहा क्योंकि यहां हो रही मौत के बाद परिजन सीधे शव गंगा में बहा रहे हैं