लंदन के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) के बाद अब रूस ने भी कोरानावायरस (Coronavirus Pandemic) का वैक्सीन बना लेने का दावा किया है. रूस ने मंगलवार को कहा है कि तमाम परीक्षणों के बाद हमारे देश में बने वैक्सीन अब इस्तेमाल के लिए तैयार हैं. कोविड-19 के रोकथाम के लिए दुनिया के कई देश कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) बनाने में लगे हुए हैं. भारत में बने कोरोना वैक्सीन का भी देश भर में ह्यूमन ट्रायल चल रहा है. वहीं, रूस पर कोरोना वैक्सीन का फॉर्मूला चुराने का भी आरोप लग चुका है.
रूस के उप रक्षा मंत्री रुसलान त्सलीकोव ने कहा कि रूसी रक्षा मंत्रालय के सहयोग से निर्मित कोविड-19 वैक्सीन का दूसरे चरण का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है. अब यह पहला घरेलू टीका उपयोग के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों के एक दूसरे समूह पर किया जा रहा दूसरे चरण का परीक्षण पूरा हो गया है. जिस पर भी वैक्सीन का परीक्षण किया गया वे बेहतर महसूस कर रहे हैं और कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो रही है. रूस 2020 तक घरेलू स्तर पर कोरोना वैक्सीन का 3 करोड़ और विदेशों में 17 करोड़ डोज तैयार कर सकता है. पांच देशों ने वैक्सीन के उत्पादन में रुचि दिखायी है.
हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि सबसे बड़े पैमाने पर तीसरे चरण का परीक्षण कब शुरू होगा या वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन कब शुरू होगा. पिछले दिनों खबरें आयी थी कि रूस के कुछ अरबपतियों ने अप्रैल में ही कोरोना वायरस का टीका लगवा लिया था. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार रूस के अरबपतियों और कुछ नेताओं को कोरोना वायरस की प्रायोगिक वैक्सीन को अप्रैल में ही दे दिया गया था. रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि जिन अमीरों को यह वैक्सीन दी गयी, उनमें एल्युमीनियम कंपनी यूनाइटेड रसेल के टॉप अधिकारी, अरबपति और सरकारी अधिकारी शामिल हैं.
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दूसरी ओर, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भी कोराना वैक्सीन तैयार कर लेने का दावा किया है. शोध में लगे एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित कोरोना वायरस वैक्सीन सुरक्षित है और शरीर के भीतर एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्पन्न करता है. इसके शोध में लगे वैज्ञानिकों ने मानव परीक्षण के पहले चरण के बाद सोमवार को यह घोषणा की.
नैदानिक परीक्षण के पहले चरण के तहत अप्रैल और मई में ब्रिटेन के पांच अस्पतालों में 18 से 55 वर्ष की आयु के 1,077 स्वस्थ वयस्कों को टीके की खुराक दी गयी थी और उनके परिणाम चिकित्सा पत्रिका ‘लांसेट’ में प्रकाशित किये गये हैं. परिणाम बताते हैं कि जिनको टीके लगाये गये, उनमें 56 दिनों तक मजबूत एंटीबॉडी और टी-सेल प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं उत्पन्न हुईं.
एक अध्ययन के अनुसार वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कोविड-19 टीका विकसित किया है जिसमें वे एंटीबॉडीज उत्पन्न करते हैं जो चूहों और स्तनपायी प्राणियों में एक ही टीके से कोरोना वायरस को ‘पूरी तरह से बेअसर’ कर देते हैं. यह अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल हैं. अमेरिका स्थित बायोटेक कंपनी पीएआई लाइफ साइंसेज के अमित खंडार सहित शोधकर्ताओं ने बताया कि मांसपेशियों में इंजेक्शन लगाने के दो सप्ताह के भीतर टीके का प्रभाव शुरू होता है.
‘साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, ‘रिप्लिकेटिंग आरएनए वैक्सीन’ का प्रभाव चूहों में कोरोना वायरस को बेअसर करने में दिखाई दिया. वैज्ञानिकों ने बताया कि इस प्रकार का टीका प्रोटीन की अधिक मात्रा को दर्शाता है, और वायरस-संवेदी तनाव प्रतिक्रिया को भी सक्रिय करता है जो अन्य प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है.
Posted By: Amlesh Nandan Sinha.