MP Political Crisis : मध्य प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता के बाद कांग्रेस के लिए उपजे राजनीतिक संकट के बीच सूबे की कमलनाथ अब खतरे में आ गयी है. उसके सामने बजट सत्र शुरू होने के पहले बहुमत साबित करने की चुनौती है. आगामी 16 मार्च से मध्य प्रदेश के बजट सत्र शुरुआत होने की तारीख तय की गयी थी, लेकिन ठीक होली के दिन राजनीतिक रंग में पड़े भंग की वजह से अब कमलनाथ सरकार के लिए बहुमत साबित करने की चुनौती सामने आ गयी है. आइए, हम जानते हैं कि मध्य प्रदेश में सीटों की स्थिति क्या है…?
सूबे की कमलनाथ सरकार से सिंधिया खेमे के 19 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को ई-मेल के जरिये अपना इस्तीफा भेज दिया है और विधायकों के इस्तीफे का यह सिलसिला आगे भी जारी है. हालांकि, मीडिया में 22 विधायकों के इस्तीफे की बात की जा रही है. इन विधायकों के इस्तीफे से पहले वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेस के बागी विधायकों के इस कदम से प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गयी.
राजभवन के एक अधिकारी ने बताया कि कांग्रेस के 19 विधायकों ने अपने त्यागपत्र राजभवन को भेज दिये हैं. उन्होंने बताया कि हरदीप सिंह डंग, तुलसी राम सिलावट (मंत्री), राज्यवर्घन सिंह, प्रभुराम चौधरी (मंत्री) , गोविंद सिंह राजपूत (मंत्री), ब्रजेन्द्र सिंह यादव, जसपाल सिंह जग्गी, महेन्द्र सिंह सिसोदिया (मंत्री), सुरेश धाकड़, जसवंत जाटव, संतराम सरोनिया, इमरती देवी (मंत्री), मुन्नालाल गोयल, प्रद्युम्न सिंह तोमर (मंत्री), रणवीर सिंह जाटव, ओपीएस भदौरिया, कमलेश जाटव, गिरीराज दंडौतिया, रधुराज सिंह कंसाना ने अपने त्यागपत्र ई मेल के जरिये भेजे है. इस्तीफा देने वाले इन विधायकों में कमलनाथ सरकार के सिंधिया खेमे के छह मंत्री भी शामिल हैं. खबरों के अनुसार, सिंधिया खेमे के अधिकांश विधायक बेंगलुरु के एक रिजॉर्ट में ठहरे हुए हैं. प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन होली के अवकाश पर लखनऊ गये हुए हैं.
मौजूदा विधानसभा सीटों के मुताबिक, 230 सीटों वाली विधानसभा में अब भी दो सीटों खाली पड़ी हुई हैं. इन दो सीटों के खाली रहने के बाद बाकी 228 सीटें बचीं. अब इसमें से कांग्रेस, सपा और बसपा समेत 22 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद 206 सीटें ही बचती हैं. अब अगर आप बहुमत के हिसाब से देखेंगे, तो किसी भी दल को बहुमत साबित करने का आंकड़ा 104 सीट का बनता है. फिलहाल, भाजपा के पास 107 विधायक हैं. अगर इस हिसाब से देखेंगे, तो फिलवक्त भाजपा बहुमत से तीन सीट आगे है और वह सरकार बना सकती है.
वहीं, कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी इस बात को मान चुके हैं कि अब मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार को बचाना मुश्किल है. लोकसभा में कांग्रेसी सांसद अधीर ने कहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का पार्टी से इस्तीफा देने हमारे लिए सबसे बड़ा नुकसान है. मुझे नहीं लगता कि मध्य प्रदेश में अब कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बच पाएगी.