पाकिस्तान के बाद चीन भारत के साथ सीमा विवाद किसी अभियान के जैसे खड़ा कर रहा है: राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि पाकिस्तान के बाद चीन भारत के साथ सीमा विवाद को इस तरह खड़ा कर रहा है, मानों यह किसी "अभियान" के तहत किया जा रहा है. भारत और चीन के सैनिकों के बीच पांच महीने से ज्यादा समय से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध जारी है .
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि पाकिस्तान के बाद चीन भारत के साथ सीमा विवाद को इस तरह खड़ा कर रहा है, मानों यह किसी “अभियान” के तहत किया जा रहा है. भारत और चीन के सैनिकों के बीच पांच महीने से ज्यादा समय से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध जारी है .
रक्षा मंत्री ने 44 पुलों का उद्धाटन करने के बाद एक ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा कि भारत सीमा पर स्थिति का न केवल दृढ़ता से सामना कर रहा है, बल्कि वह सीमावर्ती इलाकों में विकास भी कर रहा है. सिंह ने कहा, “आप हमारी उत्तरी और पूर्वी सीमाओं पर बनाई गई स्थिति से परिचित हैं. पहले पाकिस्तान और अब चीन. ऐसा लगता है कि एक अभियान के तहत सीमा विवाद पैदा किए गए हैं.
इन देशों के साथ हमारी करीब 7000 किलोमीटर लंबी सीमा है, जहां तनाव जारी है. ” सिंह लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के रणनीतिक रूप से अहम क्षेत्रों में बनाए गए पुलों का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे.
अधिकारियों ने बताया कि इनमें से अधिकतर पुलों से लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश सेक्टरों में चीन से लगती सीमा पर सैनिकों की आवाजाही में काफी सुधार होने की उम्मीद है. भारत और चीन ने सीमा पर गतिरोध का समाधान करने के लिए राजनयिक और सैन्य स्तर की कई वार्ताएं की हैं, लेकिन तनाव को कम करने को लेकर अबतक कामयाबी नहीं मिली है.
सिंह ने कहा कि कोविड-19 के चुनौतिपूर्ण समय में और सीमा पर तनाव तथा पाकिस्तान एवं चीन द्वारा बनाए गए विवाद के बावजूद, भारत न केवल उनका दृढ़ता से सामना कर रहा है बल्कि विकास के सभी क्षेत्रों में ऐतिहासिक बदलाव ला रहा है. रक्षा मंत्री ने अरूणाचल प्रदेश में नेचिफू सुरंग की आधारशिला रखी. इस 450 मीटर लंबी सुरंग से नेचिफू पास के पार सभी मौसम में संपर्क सुनिश्चित होगा.
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इन पुलों में 10 जम्मू-कश्मीर में, आठ लद्दाख में, दो हिमाचल प्रदेश में, पंजाब और सिक्किम में चार-चार तथा उत्तराखंड एवं अरूणाचल प्रदेश में आठ-आठ पुल हैं. अपने संबोधन में सिंह ने सरहदी इलाकों में अवसंरचना में सुधार की उपलब्धि के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की तारीफ की और कहा कि एक बार में 44 पुलों को समर्पित करना अपने आप में एक रिकॉर्ड है. उन्होंने कहा कि बीआरओ का वार्षिक बजट 2008 से 2016 के बीच 3,300 करोड़ रुपये से 4,600 करोड़ रुपये का था. 2021 में 11,000 करोड़ से ज्यादा का हो गया है.
सिंह ने कहा कि कोविड-19 के बावजूद इस बजट में कोई कमी नहीं की गई. सिंह ने कहा कि इन पुलों का निर्माण क्षेत्र में आम लोगों के साथ-साथ सेना के लिए भी फायेदमंद होगा. रक्षा मंत्री ने कहा, ” हमारे सशस्त्र बल के कर्मी उन इलाकों में बड़ी संख्या में तैनात हैं जहां साल भर परिवहन उपलब्ध नहीं रहता है.” उन्होंने रेखांकित किया कि सीमा अवसंरचना में सुधार से सशस्त्र बलों को काफी मदद मिलेगी.
सिंह ने कहा, “ये सड़कें न केवल रणनीतिक जरूरतों के लिए हैं, बल्कि ये राष्ट्र के विकास में सभी पक्षकारों की समान भागीदारी को भी दर्शाती हैं.” रक्षा मंत्री ने कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान भी अथक रूप से काम करने के लिए बीआरओ को बधाई दी. उन्होंने कहा कि असाधारण बर्फबारी से 60 साल का रिकॉर्ड टूट गया.
इसके बावजूद सभी रणनीतिक रूप से अहम दर्रों और सड़कों को खोलने की औसत वार्षिक तारीख से लगभग एक महीने पहले उन्हें यातायात के लिए खोल दिया गया. गौरतलब है कि चीन के साथ गतिरोध के बीच भारत ने कई अहम परियोजनाओं पर काम तेज कर दिया है. इसमें हिमाचल प्रदेश के दारचा को लद्दाख से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से अहम सड़क शामिल है.
Posted By – Pankaj Kumar Pathak