तिरुवनंतपुरम : केरल की माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक सरकार (Kerala Government) ने अलग-अलग वर्गों की आलोचना के बाद राज्य पुलिस अधिनियम में विवादित संशोधन (Kerala State Police Act) पर सोमवार को रोक लगा दी. मुख्यमंत्री पी विजयन (CM P Vijayan) ने कहा कि उनकी सरकार का इरादा अभी इस संशोधित कानून को लागू नहीं करने का है, क्योंकि एलडीएफ के समर्थकों और लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए खड़े लोगों ने इसे लेकर चिंताएं व्यक्त की हैं.
मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा, ‘हमारा इरादा संशोधित केरल पुलिस अधिनियम को लागू करने का नहीं है. इस संबंध में विधानसभा में विस्तृत विचार-विमर्श होगा और विभिन्न तबकों की राय सुनने के बाद आगे का कदम उठाया जायेगा.’ विपक्षी पार्टियों ने अध्यादेश के जरिए लाये गये संशोधन की आलोचना की थी और कहा था कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की आजादी के खिलाफ है.
केरल मंत्रिमंडल ने पिछले महीने पुलिस अधिनियम को और प्रभावी बनाने के लिए इसमें धारा 118-ए जोड़ने का फैसला किया था. इसके तहत अगर कोई शख्स सोशल मीडिया के जरिए किसी व्यक्ति की मानहानि या अपमान करने वाली किसी सामग्री का उत्पादन करता है, प्रकाशित करता है या प्रसारित करता है तो उस पर 10 हजार रुपये का जुर्माना या पांच साल की कैद या दोनों हो सकते हैं.
संशोधन करने पर आलोचना झेल रही केरल सरकार ने सोमवार को कहा कि ‘साइबर दबंगई’ रोकने के लिए ‘नेक इरादे’ से लाए गए कानून का दुरुपयोग न हो इसके लिए वह सभी प्रकार के कदम उठायेगी. यह चिंता जताई जा रही है कि राज्य सरकार द्वारा किया गया संशोधन, अभिव्यक्ति तथा मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला है. कांग्रेस ने कहा कि यह संशोधन आलोचकों और मीडिया को चुप कराने के लिए लाया गया है. पार्टी ने कानून के विरोध में जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया.
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भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट लिखने वालों को पांच साल की सजा का प्रावधान करने वाले कानून के खिलाफ वह केरल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटायेगी. महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध साइबर हमले रोकने के लिए माकपा सरकार पुलिस अधिनियम संशोधन अध्यादेश लाई है जिस पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को हस्ताक्षर किया.
राज्य के कानून मंत्री ए के बालन ने सोमवार को आश्वासन दिया कि नए संशोधन से चिंतित होने का कोई कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि बदलती परिस्थितियों के अनुसार नया संशोधन किया गया है. उन्होंने कहा कि यह संशोधन नेक इरादे से किया गया है और विशेष रूप से इसका उद्देश्य महिलाओं के प्रति साइबर दबंगई की घटनाओं को रोकना है. उन्होंने कहा कि कानून का मकसद प्रेस की स्वतंत्रता कम करना नहीं है.
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बालन ने पलक्क्ड़ में कहा, कानून का दुरुपयोग न हो इसके लिए सरकार सारे आवश्यक कदम उठायेगी. सारी चिंताओं को दूर करने के बाद ही इसे लागू किया जायेगा. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने संवाददाताओं से कहा, यह संवैधानिक अधिकारों का हनन है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है. भाजपा इसके विरुद्ध कानूनी और राजनैतिक लड़ाई लड़ेगी. मैं इस संशोधन के विरुद्ध केरल उच्च न्यायालय जाऊंगा.
Posted By: Amlesh Nandan.