टाटा समूह के मुखिया रतन टाटा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कृषि उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उनका मानना है कि उद्योग को फिर से स्थापित करने में लंबा समय लगने वाला है. ऐसे में भारत की इकोनॉमी को एक बार फिर से पटरी पर लाने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था शुरुआती कदम हो सकता है. रतन टाटा ने यह बात टाटा ट्रस्ट की पत्रिका हॉरिजन्स के साथ एक साक्षात्कार में कही.
उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आयी तेजी हमें मौजूदा परेशानियों से पार पाने में सक्षम बना सकती है. ट्रस्ट इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. कोरोना महामारी से उत्पन्न चुनौतियों की बाबत उन्होंने कहा कि कोविड-19 से जो लड़ाई लड़ी जा रही है, वह विश्व युद्ध के समान ही है. पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी है. भारत में यह एक आभासीय मंदी है और यह वायरस के आने के साथ जुड़ गया है.
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उन्होंने कहा कि इस संकट से उबरने के लिए हमारे पास अभी न तो कोई वैक्सीन है, न ही प्रोटोकॉल. उम्मीद है कि अक्तूबर तक या नये साल की शुरुआत में इसका कोई समाधान आ जायेगा, मगर वह क्या होगा, इस बारे में हम अभी कुछ नहीं जानते. उन्होंने कहा कि इन सब के बीच हमें औद्योगिक और कृषि माध्यम से अर्थव्यवस्था की रिकवरी का रास्ता बनाना होगा.
पूंजी बाजार, माल व सेवाओं की मांग और बेरोजगारी (इस दौरान भी जो बेरोजगारी पैदा हुई) से निबटने की चुनौती हमारे सामने है. उन्होंने कहा कि आर्थिक सुधार को एक तरफ रख भी दें, तो हमें इस उम्मीद और भावनाओं को फिर से जागृत करना होगा कि आगे बढ़ने के लिए हमारे पास अच्छे मौके हैं. उन्होंने कहा कि वास्तव में यह कोई नहीं जानता कि आगे क्या है, सरकार क्या करेगी, क्या कर सकती है या क्या नहीं कर सकती है. वैश्विक संदर्भ में, जब भी हमारे सामने आपदा आती है, तो हमें अच्छी चीजें भी देती है.
Post by : pritish sahay