AGRICULTURE: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कृषि कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रालय पर अपनी पकड़ और सदस्यों के सवाल का त्वरित उत्तर देने के लिये जाने जा रहे हैं. मंत्रालय से संबंधित किसी भी सवाल का जवाब वह सिलसिलेवार और आंकड़ों के साथ देते हैं. कृषि विभाग की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुये शुक्रवार को उन्होंने उन सभी बातों का जिक्र किया, जिसे लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर रहा है. विस्तार से अपने विभाग के एक-एक योजना और उन योजनाओं से किसानों को हो रहे लाभ की जानकारी दी. उन्होंने मोदी सरकार के दौरान किसानों के हित और कांग्रेस के शासन के दौरान किसानों के हित के साथ छल किये जाने की बात कही. इतना ही नहीं उन्होंने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस का डीएनए ही किसान विरोधी है, जबकि एनडीए सरकार खेती का रोड मैप बनाकर काम कर रही है.
कांग्रेस का डीएनए ही किसान विरोधी
उन्होंने तत्कालीन यूपीए सरकार की नाकामियों को गिनाते हुए कहा कि कांग्रेस ने किसानों के साथ हमेशा से ही छल, फरेब और ठगी की है. जब हम महाभारत काल में जाते हैं तो हमें भगवान श्रीकृष्ण नजर आते हैं, जबकि विपक्ष को छल-कपट और अधर्म के प्रतीक शकुनि और चौसर का ही ध्यान आता है. मोदी जी के नेतृत्व में देश में कृषि के क्षेत्र में निरंतर काम किया जा रहा है. खेती को लाभ का धंधा बनाना है और किसान कल्याण हमारी पहली प्राथमिकता है. चौहान ने तत्कालीन यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अनीति और अधर्म किसने किया? किसने किसानों के साथ ठगी की? कांग्रेस के डीएनए में ही किसान विरोध है, ये आज से नहीं, बल्कि प्रारंभ से ही है, कांग्रेस की प्राथमिकताएं ही गलत रही है. हमारे पहले प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू जी रूस गए और वहां से एक मॉडल देखकर आए. उसके बाद कहा कि रूस का मॉडल लागू करो. उस वक्त भारत रत्न श्री चौधरी चरण सिंह जी ने कहा कि ये नहीं हो सकता, भारत की कृषि की परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं. कांग्रेस की प्राथमिकताएं ही गलत थी. 17 साल तक नेहरू जी ने प्रधानमंत्री के पद को सुशोभित किया, लेकिन उस समय क्या हुआ था, अमेरिका से लाया हुआ सड़ा हुआ लाल गेहूं भारत को खाने पर विवश और मजबूर होना पड़ा था. स्वर्गीय इंदिरा जी के समय किसानों से लेवी के रूप में जबरन वसूली का काम किया जाता था.
पहले नहीं मिलते थे फसल बीमा के क्लेम
केन्द्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस ने फसल बीमा योजना पर कभी ध्यान नहीं दिया. इनके समय ऐसी फसल बीमा योजना थी कि किसानों को पूरी तहसील की फसल खराब होने के लिए प्रार्थना करना पड़ता था. जब वह सांसद थे तो किसान की खराब फसल को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री के पास इस उम्मीद से जाते थे कि कुछ राहत मिलेगी लेकिन निराशा ही हाथ लगती थी. उस समय एक गाँव की फसल खराब होती थी तो क्लेम नहीं मिलता था, 10 गांव की खराब होती थी तो भी क्लेम नहीं मिलता था, अगर पूरे एक गांव की भी फसल खराब हो जाए तो भी क्लेम नहीं मिलता था. तत्कालीन सरकार में जब पूरे तहसील की फसल खराब होती थी, तब जाकर क्लेम मिलता था और इसलिए किसान भगवान से प्रार्थना करते थे कि पूरे तहसील की फसल खराब हो जाए. मोदी जी के आने के बाद प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बनी और उन्हें यह कहते हुए प्रसन्नता हो रही है कि फसल बीमा योजना ने पूरे परिदृश्य को बदलकर रख दिया है.