कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के निधन (Ahmed patel died) की खबर बुधवार सुबह आई जिसने भारतीय राजनीति को झकझोर दिया. आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही अहमद पटेल कोरोना से संक्रमित हुए थे जिसके बाद उनका इलाज चल रहा था. अहमद पटेल के बेटे फैजल पटेल ने ट्वीट उनके निधन की खबर दी. उन्होंने अपने ट्विटर वॉल पर लिखा कि उनके पिता अहमद पटेल का आज सुबह 3 बजकर 30 मिनट पर निधन हो गया है. बताया जा रहा है कि अहमद पटेल का गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा था. यहीं उनका निधन हुआ. यदि इस खबर से किसी को ज्यादा दुख पहुंचा होगा तो वो है कांग्रेस….
बताया जाता है कि अहमद पटेल की हार सोनिया गांधी की हार होती थी, उनकी जीत सोनिया गांधी की जीत….इतने भर से आपको पता चल गया होगा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल की अहमियत क्या थी. कांग्रेस चाहे सत्ता में हो या सत्ता से बाहर अहमद पटेल ऐसी शख्सियत थे जिनका रसूख हमेशा बना रहा. अहमद पटेल तीन बार लोकसभा में कांग्रेस के सांसद रहे और पांच बार कांग्रेस की तरफ़ से राज्यसभा सांसद पहुंचे, केवल यही नहीं बल्कि कांग्रेस के सबसे शीर्ष परिवार यानी गांधी परिवार के प्रति उनकी वफ़ादारी के कारण वे अपना कद बढाते चले गये.
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सोनिया गांधी के सलाहकार: यदि आप नहीं जानते तो हम बता दें कि अहमद पटेल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सलाहकार थे. वो देश की सबसे पुरानी पार्टी की मुखिया को लंबे समय से सलाह देने का काम कर रहे थे. पटेल को गांधी परिवार से लेकर कांग्रेस पार्टी तक, सबके बारे में बारीकी से जानकारी थी. अहमद पटेल ही थे, जिनकी वजह से सोनिया भारतीय राजनीति में स्थापित हुईं. राजीव गांधी की हत्या के बाद इतनी बड़ी पार्टी संभाल पाईं, तो उसकी वजह अहमद पटेल ही थे. नरसिम्हा राव जैसे नेताओं से रिश्ते बिगड़ने के बावजूद वह बनी रहीं. सोनिया के इस सफर के पीछे अहमद का बड़ा योगदान है.
इंदिरा गांधी और राजीव के भी करीबी : बात 1977 की करते हैं. इस साल कांग्रेस की हार के घावों से जूझ रहीं इंदिरा गांधी को अहमद पटेल और उनके साथी सनत मेहता ने अपने चुनाव क्षेत्र भरूच बुलाया था, कहा जाता है कि इंदिरा की वापसी की कहानी की शुरुआत में यह घटना मील का पत्थर साबित हुई. अहमद पटेल कांग्रेस की पहली पंक्ति में 1980 और 1984 के बीच आए. यह वह दौर था जब इंदिरा गांधी के बाद ज़िम्मेदारी संभालने के लिए बेटे राजीव गांधी को तैयार किया जा रहा था, तब शर्मीली शख्सियत वाले अहमद पटेल राजीव गांधी की नजर में आये और कांग्रेस के करीब आते ही चले गये. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी 1984 में लोकसभा की 400 सीटों के बहुमत के साथ सत्ता में आए थे और अहमद पटेल कांग्रेस सांसद होने के अलावा पार्टी की संयुक्त सचिव के पद पर कबिज हुए, उन्हें कुछ समय के लिए पार्टी ने संसदीय सचिव और फिर कांग्रेस का महासचिव भी बनाया.
Posted By : Amitabh Kumar