नई दिल्ली : दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 6 से 12 साल और उसके बाद 2 से 6 साल के आयुवर्ग के बच्चों पर कोवैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के लिए सोमवार से रिक्रूटमेंट शुरू हो गया है. समाचार एजेंसी एएनआई के ट्वीट के अनुसार, दिल्ली के एम्स में मंगलवार से 6 से 12 साल के बच्चों पर कोवैक्सीन के ट्रायल शुरू होने की उम्मीद की जा रही है. इसके पहले 12 से 18 साल के बच्चों को कोवैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल पूरा हो चुका है.
AIIMS Delhi to start recruitment for clinical trials tomorrow onwards on 6-12 age group children and 2-6 age group after that. Trial for 6-12 age group to start from tomorrow. Recruitment & clinical trial for single-dose COVAXIN for 12-18 age group is over.
— ANI (@ANI) June 14, 2021
छोटे बच्चों पर कोवैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल कराने का मकसद देश में कोरोना की तीसरी लहर शुरू होने के पहले उन्हें टीकाकरण में शामिल किया जाना है. विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की ओर से कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर खतरा अधिक बताया जा रहा है, जिसकी वजह से पूरी दुनिया में बच्चों पर टीकों का ट्रायल किया जा रहा है. इसी वैश्विक अभियान के तहत भारत में भी बच्चों पर टीके का क्लिनिकल ट्रायल किया जा रहा है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, छोटे बच्चों पर कोवैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल करने के लिए दिल्ली के एम्स में सोमवार से स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई है. इसके पहले पटना स्थित पटना में बच्चों पर कोरोना रोधी टीका कोवैक्सीन का ट्रायल शुरू हो चुका है. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने 12 मई को 2 से 18 साल आयुवर्ग के बच्चों पर वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल को मंजूरी दी थी.
खबर के अनुसार, कोवैक्सीन का यह ट्रायल 525 स्वस्थ बच्चों पर किया जाएगा. एक बार स्क्रीनिंग रिपोर्ट आने के बाद वैक्सीन की पहली डोज दी जाएगी. ट्रायल के दौरान वैक्सीन की दो डोज लगेंगी. दूसरी डोज 28 दिन के बाद लगाई जाएगी.
बता दें कि कोरोना रोधी टीका कोवैक्सीन को हैदराबाद स्थित दवा निर्माता कंपनी भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआईवी) के साथ मिलकर तैयार किया है. कोवैक्सीन एक ‘इनऐक्टिवेटेड’ वैक्सीन है. यह उन कोरोना वायरस के डेड पार्टिकल्स से बनी है. इसकी डोज से शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनती है. ये एंटीबॉडी शरीर को कोरोना इन्फेक्शन से बचाती हैं.
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Posted by : Vishwat Sen