18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने दी चेतावनी : कोरोना प्रोटोकॉल के नियमों को तोड़ने पर जल्द आ जाएगी तीसरी लहर

डॉ गुलेरिया ने कहा कि अब तक इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि संक्रमण की अगली लहर में बच्चे अधिक प्रभावित होंगे. इससे पहले, भारत के महामारी विज्ञानियों ने संकेत दिया था कि कोरोना की तीसरी लहर का आना तय है और इसके सितंबर-अक्टूबर से शुरू होने की आशंका है.

नई दिल्ली : दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने शनिवार को चेतावनी दी है कि यदि कोरोना प्रोटोकॉल के नियमों का पालन नहीं किया गया और भीड़-भाड़ नहीं रोकी गई, तो अगले 6 से 8 हफ्ते में महामारी की तीसरी लहर देश में दस्तक दे सकती है. गुलेरिया ने कहा कि जब तक बड़ी संख्या में आबादी का टीकाकरण नहीं हो जाता, तब तक कोरोना प्रोटोकॉल के नियमों का आक्रामक तरीके से पालन करने की जरूरत है. उन्होंने संक्रमण के मामलों में बड़ी बढ़ोतरी होने पर कड़ी निगरानी और क्षेत्र-विशेष में लॉकडाउन की जरूरत पर जोर दिया.

समाचार एजेंसी पीटीआई से डॉ गुलेरिया ने कहा कि अब तक इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि संक्रमण की अगली लहर में बच्चे अधिक प्रभावित होंगे. इससे पहले, भारत के महामारी विज्ञानियों ने संकेत दिया था कि कोरोना की तीसरी लहर का आना तय है और इसके सितंबर-अक्टूबर से शुरू होने की आशंका है.

बता दें कि भारत अप्रैल और मई में कोरोना महामारी की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित हुआ था, जिसमें रोजाना बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई थीं और विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण संकट बढ़ गया था. हालांकि, अब संक्रमण के मामलों की संख्या में गिरावट देखी गई है और संक्रमण दर भी पिछले कई दिनों से घट रही है. कोरोना के रोजाना आने वाले मामले करीब चार लाख से कम होकर 60,000 के आसपास हो गए हैं.

गुलेरिया ने कहा कि यदि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जाता है, तो तीसरी लहर 6 से 8 हफ्ते में आ सकती है. हमें टीकाकरण होने तक एक और बड़ी लहर को रोकने के लिए आक्रामक तरीके से काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कोरोना हॉटस्पॉट में आक्रामक निगरानी और संक्रमण के मामलों में अधिक बढ़ोतरी होने पर लॉकडाउन की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि जब भी किसी क्षेत्र विशेष में मामलों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होती है और संक्रमण दर 5 फीसदी से अधिक होती है, तो क्षेत्र विशेष में लॉकडाउन और रोकथाम उपायों को लागू किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हालांकि, आर्थिक गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन (महामारी पर लगाम लगाने के लिए) लगाना समस्या का समाधान नहीं हो सकता है.

Also Read: ITR : टैक्स की ऊंची दरों के भुगतान से बचना है, तो इस डेट से पहले फाइल कर दें टीडीएस, जानिए डिटेल

Posted by : Vishwat Sen

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें