Gyanvapi Case Verdict: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी जिला अदालत के फैसले पर ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रतिक्रिया दी है. सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि आज जो आदेश आया है, उसपर मेरी राय है कि इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील होनी चाहिए.
एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मस्जिद का प्रबंधन देखने वाली इंतजामिया कमेटी को हाई कोर्ट में इस फैसले को तुरंत चुनौती देनी चाहिए. ओवैसी ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर के आधुनिकीकरण के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने जब इसका उद्घाटन किया तो उस समय काशी मंदिर के प्लाट नंबर 93, 94 को दूसरे प्लाट से बदला गया. प्लाटों की यह अदला-बदली मालिकों के बीच हुई.
A destabilising effect will start after this. We're going on the same path as that of the Babri masjid issue. When judgement on Babri Masjid was given, I warned everyone that this will create problems in the country as this judgement was given on the basis of faith: AIMIM chief https://t.co/aeZ7l6FUCI pic.twitter.com/niASIW8Qz6
— ANI (@ANI) September 12, 2022
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वक्फ बोर्ड के 1942 के गजट में इसे मस्जिद और इसे वक्फ की संपत्ति बताया गया. एआईएमआईएम नेता ने कहा कि बाबरी मस्जिद पर जब फैसला आया तभी मैंने कहा था कि आगे और दिक्कत होगी. ओवैसी ने कहा कि 1991 का प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट मौजूद है फिर भी इस तरह का फैसला आता है. इस तरह के अदालती फैसलों से देश अस्थिर होगा.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी के काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सोमवार को अगली सुनवाई की तारीख 28 सितंबर निर्धारित की है. उल्लेखनीय है कि वाराणसी की अदालत ने 8 अप्रैल, 2021 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एक समग्र भौतिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट, वाराणसी की जिला अदालत में वर्ष 1991 में दायर मूल वाद की पोषणीयता पर सुनवाई कर रहा है. वाराणसी की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद ने मूल वाद की पोषणीयता को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी है. मूल वाद में उस जगह को प्राचीन मंदिर बहाल करने की मांग की गई है, जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद है. मुकदमे में दलील दी गई है कि उक्त मस्जिद वहां मौजूद मंदिर का हिस्सा है.