एयर इंडिया पेशाब मामले में बड़ा मोड़, महिला शिकायतकर्ता ने शंकर मिश्रा के दावे को किया खारिज
नवंबर 26 2022 को एयर इंडिया की फ्लाइट में एक अजीबों गरीब घटना घटी थी. खबरों की माने तो शंकर मिश्रा नामक व्यक्ति ने नशे की हालत में एक महिला सहयात्री पर पेशाब कर दिया था. इस केस ने आज एक नया मोड़ लिया है.
Air India Urination Case: बीते नवंबर के महीने में एयर इंडिया के फ्लाइट से एक खबर आयी थी. इस खबर की माने तो नशे की हालत में एक व्यक्ति ने अपनी महिला सहयात्री पर पेशाब कर दिया था. पेशाब करने के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया था. एयर इंडिया में घटे इस घटना में आये दिन नये मोड़ आ रहे हैं. आज ही इस खबर से जुड़ी नयी अपडेट आयी है. खबरों की माने तो शंकर मिश्रा द्वारा महिला पर खुद पर पेशाब करने के दावे को महिला शिकायतकर्ता ने ठुकरा दिया है.
महिला पर पेशाब करने का आरोप
एअर इंडिया (Air India) की उड़ान के दौरान सहयात्री शंकर मिश्रा द्वारा खुद पर (महिला पर) पेशाब करने का आरोप लगाने वाली महिला ने आरोपी के उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि प्रतीत होता है कि महिला ने खुद अपने ऊपर पेशाब किया था. महिला ने कहा कि मिश्रा का यह दावा पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत होने के साथ ही अपमानजनक भी है.
मिश्रा के वकील रमेश गुप्ता ने दी दलील
मिश्रा के वकील रमेश गुप्ता ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरज्योत सिंह भल्ला के समक्ष दिल्ली पुलिस की एक याचिका पर बहस करते हुए यह दलील दी थी. पुलिस ने अपनी याचिका में आरोपी से हिरासत में पूछताछ करने की अनुमति न देने के मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश में संशोधन का आग्रह किया था. आरोपी के वकील ने मिश्रा की ओर से कहा था- मैं आरोपी नहीं हूं. कोई और होना चाहिए. ऐसा लगता है कि उसने (महिला) खुद ही पेशाब किया. वह प्रोस्टेट से जुड़ी किसी बीमारी से पीड़ित थी जिससे कथक नृत्य से जुड़े कई लोग पीड़ित प्रतीत होते हैं. ये वो नहीं था. बैठने की व्यवस्था ऐसी थी कि कोई उसकी (महिला की) सीट तक नहीं जा सकता था. आरोपी के वकील ने कहा था, उसकी (महिला की) सीट पर केवल पीछे से ही जाया जा सकता था और किसी भी हालत में पेशाब सीट के सामने वाले हिस्से तक नहीं पहुंच सकता था. साथ ही शिकायतकर्ता के पीछे बैठे यात्री ने भी ऐसी कोई शिकायत नहीं की.
शिकायतकर्ता के वकील अंकुर महिंद्रो ने आरोप को बताया गलत
शिकायतकर्ता के वकील अंकुर महिंद्रो ने उसकी ओर से कहा- आरोप पूरी तरह से झूठे और मनगढ़ंत हैं और उनकी प्रकृति अपमानजनक है. साथ ही उक्त आरोप पूरी तरह से विरोधाभासी हैं और बयानों के उलट है. उन्होंने कहा, ‘‘आरोपी ने अपने द्वारा किए गए घृणित कार्य के लिए पश्चाताप करने के बजाय, पीड़ित को और परेशान करने के इरादे से गलत सूचना और झूठ फैलाने का अभियान अपनाया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरज्योत सिंह भल्ला ने पुलिस की अर्जी का यह कहते हुए निस्तारण कर दिया कि पुलिस अपनी अर्जी के साथ नये सिरे से मजिस्ट्रेट अदालत का रुख कर सकती है. (भाषा इनपुट के साथ)