पराली जलाने से पंजाब के शहरों के साथ-साथ गांवों की हवा में भी घुल गया है जहर
Air Pollution in Punjab चंडीगढ़ : पंजाब में शहरों के बाद अब गांवों की हवा में भी जहर घुल गया है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Pullution Control Board) ने इस स्थिति को गंभीर माना है. बोर्ड शहरी क्षेत्रों के बाद अब गांवों की आबोहवा की जांच रहा है. इसके लिए बोर्ड की ओर से 48 नई मैनुअल हाई वॉल्यूम सैंपलर (HVS) मशीनें लगाई हैं. इनमें 24 मशीनों को राज्य के गांवों में स्थापित किया गया है.
Air Pollution in Punjab चंडीगढ़ : पंजाब में शहरों के बाद अब गांवों की हवा में भी जहर घुल गया है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Pullution Control Board) ने इस स्थिति को गंभीर माना है. बोर्ड शहरी क्षेत्रों के बाद अब गांवों की आबोहवा की जांच रहा है. इसके लिए बोर्ड की ओर से 48 नई मैनुअल हाई वॉल्यूम सैंपलर (HVS) मशीनें लगाई हैं. इनमें 24 मशीनों को राज्य के गांवों में स्थापित किया गया है.
ये मशीनें फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, फाजिल्का, पटियाला, संगरूर और बरनाला जिलों के गांवों में लगी हैं. जांच में जो आंकड़े आ रहे हैं वह बेहद चौंकाने वाले हैं. आंकड़ों की प्राथमिक जांच में शहरों के साथ ही गांवों का भी वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) स्तर बढ़ रहा है. पंजाब में लगातार पराली जलाने की घटनाओं को लेकर पीपीसीबी के अधिकारी चिंतित हैं.
पराली से शहरी क्षेत्रों की हवा का स्तर लगातार गिर रहा है. अब तक सूबे के सात शहरी क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता के स्तर को जानने के लिए एक्यूआई मशीनें लगाई गई थीं. इनमें अमृतसर, बठिंडा, जालंधर, खन्ना, लुधियाना, मंडी गोबिंदगढ़ और पटियाला शामिल हैं.
अब तक पराली जलाने के 11 हजार से अधिक मामले
पंजाब में पराली जलाने के मामलों की संख्या में कोई गिरावट नहीं आ रही है. राज्य में अब तक 11000 से अधिक पराली जलाने के मामले सामने आ चुके हैं. पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने के मामलों की यह संख्या दोगुनी से भी अधिक है. अभी तक अमृतसर, फिरोजपुर, तरनतारन में सबसे अधिक पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. पठानकोट जिले में सबसे कम मामले आए हैं.
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पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार पराली का धुआं प्रदूषण का मुख्य कारण है. प्रदूषण बोर्ड के मेंबर सेक्रेटरी करुणेश गर्ग का कहना है कि शहरों में बढ़ते एक्यूआई स्तर के बाद राज्य के गांवों की दूषित हो रही हवा को सुधारने के लिए प्रयास किए गए हैं. आंकड़े आने शुरू हो चुके हैं, विशेषज्ञ इन पर काम कर रहे हैं.
Posted by: Amlesh Nandan.