देश-दुनिया में इस समय कोरोना वायरस का खतरा बहुत हद तक खत्म हो चुका है. लेकिन अब भी कुछ मामले रोजाना आ रहे हैं. कोरोना से मरने वालों की संख्या में भी भारी गिरावट आयी, लेकिन खतरा बना हुआ है. एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि वायु प्रदुषण से कोरोना का खतरा और भी बड़ जाता है.
वायु प्रदुषण से 30 फीसदी बढ़ जाता है कोरोना का खतरा
एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वायु प्रदूषण के कारण कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों के अस्पताल में भर्ती होने का खतरा 30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. अध्ययन में पाया गया कि प्रदूषणकारी तत्वों में पीएम 2.5 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड अहम हैं.
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पूर्ण टीकाकरण नहीं कराने वालों पर भी कोरोना का खतरा
अध्ययन में यह भी पाया गया कि वायु प्रदुषण से वैसे लोग भी कोरोना की चपेट में आ सकते हैं, जिनका पूर्ण टीकाकरण नहीं हो पाया है. अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं सहित एक टीम ने एक अस्पताल में मरीजों के मेडिकल रिकॉर्ड का अध्ययन किया. इस अध्ययन के अनुसार 2021 के जुलाई या अगस्त में कोरोना के 50010 रोगियों की पहचान की गई जिनकी आयु 12 वर्ष और उससे अधिक थी. उस समय सार्स-सीओवी-2 के डेल्टा स्वरूप से अधिक लोग संक्रमित हो रहे थे वहीं कई लोगों को टीके लगाए गए थे.
वैक्सीन ले चुके लोग भी प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से हो सकते हैं कोरोना के शिकार
अध्ययन करने वाले वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक एनी जियांग ने बताया कि कोरोना वैक्सीन अस्पताल में भर्ती होने के खतरे को कम करने में सफल होते हैं. लेकिन जिन लोगों को टीके लग चुके हैं और वे भी प्रदूषित हवा के संपर्क में आते हैं तो उनमें रोग की गंभीरता बढ़ने का अधिक खतरा है. यह अध्ययन अमेरिकन जर्नल ऑफ रेस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.