अजीत डोभाल ने कहा- सुभाषचंद्र बोस अगर जिंदा होते तो देश का बंटवारा नहीं होता, जिन्ना को भी वे थे स्वीकार्य
अजीत डोभाल ने कहा कि उनके अंदर इतना साहस था कि उन्होंने गांधी जी तक को चुनौती देने का दुस्साहस किया था, वह भी तब जब गांधी जी अपने राजनीतिक करियर के चरम पर थे.
नेताजी सुभाषचंद्र बोस अगर जिंदा होते तो देश का बंटवारा नहीं होता. उक्त बातें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने दिल्ली में नेताजी की याद में आयोजित एक कार्यक्रम में कही. अजित डोभाल ने अपने व्याख्यान में कहा कि नेताजी एक बेहद साहसी व्यक्ति थे और उन्होंने अपने जीवन में कई बार इसका परिचय दिया.
दुस्साहसी थे सुभाषचंद्र बोस
अजीत डोभाल ने कहा कि उनके अंदर इतना साहस था कि उन्होंने गांधी जी तक को चुनौती देने का दुस्साहस किया था, वह भी तब जब गांधी जी अपने राजनीतिक करियर के चरम पर थे. अजीत डोभाल ने कहा मैं किसी को अच्छा या बुरा नहीं कह रहा हूं, मैं यह कह रहा हूं कि नेताजी धारा के विरुद्ध चलने वाले इंसान थे जो बहुत ही कठिन काम है.
सुभाषचंद्र बोस को आजादी भीख में नहीं चाहिए थी
उनकी यह सोच थी कि वे अंग्रेजों से लड़कर आजादी प्राप्त करेंगे, वे अंग्रेजों से आजादी की मांग करने को अपनी तौहीन मानते थे. उन्हें आजादी भीख में नहीं चाहिए थी. अगर सुभाषचंद्र बोस होते देश का विभाजन नहीं होता इसकी वजह यह थी कि जिन्ना ने कहा था कि वे सिर्फ एक व्यक्ति को स्वीकार कर सकते थे और वे थे सुभाषचंद्र बोस.
#WATCH | Netaji (Subhas Chandra Bose) said I will not compromise for anything less than full independence and freedom. He said that he not only wants to free this country from political subjugation but there is a need to change the political, social and cultural mindset of the… pic.twitter.com/2iIQYF993T
— ANI (@ANI) June 17, 2023
नेताजी के प्रयास महान थे
लेक्चर के दौरान अजीत डोभाल ने कहा कि अक्सर एक सवाल मन में आता है कि जीवन में हमारे प्रयास ज्यादा महत्वपूर्ण हैं या परिणाम? नेताजी के महान प्रयासों की कोई अनदेखी नहीं कर सकता, लेकिन कई बार लोग उनके कार्यों के परिणामों से उसे उन्हें आंकते हैं. अजीत डोभाल ने कहा कि उनकी मृत्यु के पश्चात भी, जो ना जानें कब हुई कई लोग उनके राष्ट्रवाद से खौफ खाते हैं. उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि इतिहास नेताजी के प्रति बईमान रहा है, लेकिन मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके प्रयासों को पुनर्जीवित करने में जुटे हैं.
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