17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गुस्साये किसानों से बातचीत के लिए अकाली दल ने बनाया पैनल, तो बौखलाये कैप्टन अमरिंदर सिंह, कह दी ये बात

पंजाब में अकाली दल ने भी किसानों के गुस्से को कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के खिलाफ इस्तेमाल करने की रणनीति बना ली है.

चंडीगढ़: विधानसभा चुनाव 2022 से पहले हर दल खुद को किसानों का सबसे बड़ा हितैषी साबित करने में जुटा हुआ है. दिल्ली में जारी किसान आंदोलन ने सत्ताधारी दलों की चैन उड़ा दी है, तो विपक्षी दलों को बैठे-बिठाये सरकार को घेरने का एक अवसर मिल गया है. पंजाब में अकाली दल ने भी किसानों के गुस्से को कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के खिलाफ इस्तेमाल करने की रणनीति बना ली है.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने प्रदेश सरकार से नाराज चल रहे किसानों से बातचीत करने के लिए एक पैनल का गठन किया है. कहा गया है कि यह पैनल किसानों की समस्याओं को सुनेगा और उनकी मांगों के अनुरूप कृषि नीति बनाने का उन्हें आश्वासन देगा. अकाली दल की इस पहल से सूबे के सरदार कैप्टन अमरिंदर सिंह बौखला गये हैं.

मुख्यमंत्री कार्यालय के हवाले से न्यूज एजेंसी एएनआई ने एक ट्वीट किया, जिसमें कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कृषि कानूनों के लिए बादल परिवार पर बरसे हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने शनिवार को कहा कि कोई भी पहल किसानों पर कठोर और अलोकतांत्रिक कृषि कानूनों को थोपने की अपनी जिम्मेदारी से बादल को मुक्त नहीं कर सकती है.

Also Read: ‘वो आंदोलनकारी नहीं, मवाली हैं’, केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी का किसान आंदोलन पर बयान

2020 में बने तीन कृषि कानून बने गले की फांस

ज्ञात हो कि केंद्र सरकार की ओर से पिछले साल तीन कृषि कानून संसद से पास कराये गये थे. उन तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ राकेश टिकैत की अगुवाई में कई किसान संगठनों ने बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया. इस वर्ष 26 जनवरी को तीन कृषि कानूनों को काला कानून करार देते हुए किसानों ने लाल किला मार्च किया. इस दौरान किसानों की भेष में कुछ उपद्रवी तत्वों ने जमकर उत्पात मचाया. पुलिस वालों को लालकिला से कूदकर अपनी जान बचाने के लिए भागने के लिए मजबूर होना पड़ा. महिला समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गये.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का आरोप है कि इस आंदोलन के पीछे कांग्रेस है और वह किसानों को बरगलाकर आंदोलन करने के लिए उकसा रही है, जबकि सरकार किसानों से बात करने के लिए तैयार है. दूसरी तरफ, राकेश टिकैत हैं, जो इस बात पर अड़ गये हैं कि जब तक तीनों कानून सरकार वापस नहीं लेगी, वह कोई बातचीत नहीं करेंगे. उन्हें कानून की वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है. वहीं, केंद्र सरकार भी इस बात पर अड़ी है कि वह कानून में संशोधन करेगी, लेकिन कानूनों को पूरी तरह से वापस नहीं लेगी.

Also Read: किसान आंदोलन से बाधित ट्रेनें हुई बहाल, बरौनी से आनंद विहार टर्मिनल के लिए 29 से चलेगी एसी ट्रेन

किसान आंदोलन के अगुवा राकेश टिकैत बोले- डिफीट बीजेपी

राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश में योगी के खिलाफ आंदोलन का एलान कर दिया है. मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत करने से पहले उन्होंने नारा दिया- डिफीट बीजेपी. एक हिंदी न्यूज चैनल पर उन्होंने साफ कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार को अंबानी जैसे उद्योगपति चला रहे हैं. इसलिए सरकार से बात करने का कोई फायदा किसानों को नहीं हो रहा है. ज्ञात हो कि अकाली दल पहले सरकार का हिस्सा था, लेकिन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन तेज हुआ, तो उसने समर्थन वापस ले लिया.

Posted By: Mithilesh Jha

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें