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सभी दल GNCTD (Amendment) Bill-2021 का करें विरोध : संजय सिंह, कहा- काम करनेवाली सरकार को हटाना चाह रही 23 सालों से हार रही बीजेपी

GNCTD (Amendment) Bill, Rajya Sabha, Sanjay Singh : नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद सिंह ने राज्सभा में कहा कि दिल्ली में भाजपा 23 सालों से हार रही है. अब एक ऐसी सरकार को हटाना चाह रही है, जिसने दिल्ली के लोगों के लिए काम किया है और बहुमत से जीत भी रही है. साथ ही उन्होंने सदन में कहा कि सभी राजनीतिक दल इस विधेयक (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक-2021) का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि यह कल किसी के साथ भी हो सकता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 24, 2021 12:32 PM

नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद सिंह ने राज्सभा में कहा कि दिल्ली में भाजपा 23 सालों से हार रही है. अब एक ऐसी सरकार को हटाना चाह रही है, जिसने दिल्ली के लोगों के लिए काम किया है और बहुमत से जीत भी रही है. साथ ही उन्होंने सदन में कहा कि सभी राजनीतिक दल इस विधेयक (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक-2021) का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि यह कल किसी के साथ भी हो सकता है.

मालूम हो कि केंद्र सरकार ने दिल्ली के उपराज्यपाल को अधिक शक्ति प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक-2021 ला रही है. इससे पहले विधेयक (एनसीटी संशोधन बिल 2021) को लेकर मंगलवार को लोकसभा में भी हंगामा हुआ था. लोकसभा में मंगलवार को हंगामे के कारण कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित की गयी थी. विधेयक पर बुधवार को भी चर्चा करायी जा रही है. इस पर कई दलों के बीच सहमति बनी है.

एनसीटी संशोधन बिल 2021 में कहा गया है कि दिल्ली सरकार को कोई भी फैसला लेने के 15 दिन पहले और प्रशासनिक मामलों में सात दिन पहले उपराज्यपाल की सहमति लेना अनिवार्य होगा. इस विधेयेक के पास होने से दिल्ली में उपराज्यपाल की शक्तियों में बढ़ोतरी हो जायेगी. उपराज्यपाल उन मामलों को तय कर सकेंगे, जिनमें उनकी ‘राय’ मांगी जानी चाहिए. साथ ही दिल्ली विधानसभा द्वारा पास किये गये किसी भी कानून में ‘सरकार’ का मतलब उपराज्यपाल होगा.

दिल्ली विधानसभा या कोई समिति प्रशासनिक फैसलों की जांच नहीं कर सकती. साथ ही उल्लंघन में बने सभी नियम रद्द हो जायेंगे. इन बदलावों के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का राजधानी का दर्जा अन्य केंद्रशासित प्रदेश जैसा हो जायेगा. केंद्र सरकार वर्तमान अधिनियम की धारा 44 में एक प्रावधान जोड़ना चाहती है. प्रस्‍तावित संशोधन के मुताबिक, दिल्‍ली में लागू किसी भी कानून के तहत ‘सरकार, राज्‍य सरकार, उप राज्‍यपाल, प्रशासक या मुख्‍य आयुक्‍त या किसी के फैसले’ को लागू करने से पहले उपराज्यपाल की राय लेनी होगी.

अनुच्‍छेद 239एए में दिल्‍ली से जुड़े विशेष प्रावधानों का जिक्र है. इसके बाद प्रस्‍तावों को एलजी तक भेजने या नहीं भेजने को लेकर दिल्‍ली सरकार कोई फैसला नहीं कर सकेगी. साथ ही विधानसभा से पारित कोई ऐसे विधेयक को मंजूरी नहीं देंगे, जो विधायिका के शक्ति-क्षेत्र से बाहर है. हालांकि, ऐसे विधेयक को राष्‍ट्रपति के विचारार्थ रिजर्व रख सकते हैं.

संशोधन बिल के पास होने पर लोकसभा के नियमों के हिसाब से विधानसभा का कामकाज होगा. वहीं, विधानसभा या कोई कमेटी ऐसा नियम नहीं बनायेगी, जो प्रशासन की गतिविधियों पर विचार या जांच का अधिकार देता हो.

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